Thursday, August 24, 2017

चरित्र चालीसा भाग 2

नाम-अपराजय
स्वभाव – 100 फीसदी वास्तविक कोई मिलावट नहीं बिल्कूल आर्गेनिक, जो है, सो है ।
अपराजय जैसा नाम वैसी शख्सियत
हार जैसें शब्दों के मायने अक्सर बदल जाते है ,जब अपराजय जैसें लोग दूनिया में आते है।. ऐसा नहीं की उसकी कभी हार नहीं हुई, लेकिन वो हार भी इतनी शानदार रही की, जितने वाला भी उसकी हार से रश्क करने लगा। एक जिंदादिल इंसान जो लगता भी है एक मद्रास कट हीरों जैसा। चौड़ा सीना , उचा कद और दमदार आवाज ...और ऐसी आवाज में वो अक्सर एक ही बात कहता है
मर्द की बात एक
हर कालेज और यूनिर्वसिटी में ऐसे विरले लौण्डें होते है जिनके पास चाचा चौधरी का दिमाग और साबू वाली धमक होती है । अपराजय कालेज का कालजयी स्टूडेंटे था । क्योंकि वो पढ़ने में सबसे तेज  और गुण्डई में तर्रार था। कालेज की नामचीन हस्ती और हसिनाओं से गाढ़े संबध थे और एडमिन में गहरी पैठ थी । चपरासियों में चर्चा और लौण्डों लापाड़ीयों में उसकी तूती बोलती थी।
कालेज कैम्पस की हर गतिविधियों पे उसकी पैईनी नजर थी और हर छात्रावास तक उसकी पहुच। .कुलपति और कालेज प्रशासन के लिए अपराजय एक क्रांतीकारी स्टूडेंट था या आंतकवादी ये बहस का मुद्दा हो सकता है।
लेकिन इस बीच कालेज की लचर शिक्षा व्यवस्था, सीमित टीचर, रैगिंग और आए दिन हो रही मारपीट तोड़फोड़ और बिना किसी कांन्सिलिंग या इन्ट्रेंस टेस्ट के हो रहे एडमिशन से ,कॉलेज का एक धड़ा बेहद आक्रोशित था। जिसमें अधिकतर कालेज के वो छात्र थे ।जो या तो कभी अपराजय से चुनाव में हारे थे या कुटाए हुए थे। साथ में कुछ प्रथम वर्ष के उड़ते परिदें भी थे ,जिनको लगता था की उनका कालेज में वर्चष्व और प्रभुत्व तबतक नहीं होगा ,जब तक कि किसी मौके पे, अपराजय को पटखनी देकर उस तंत्र में सेध ना लगा दि जाए, जिसपे अपराजय का एक छत्र राज्य है। इन लोगों के साथ, कुछ ऐसे स्टार स्टूडैंट भी आ गए जो लोकप्रियता के मामले अपराजय से कम नहीं थे। इनके ही साथ आने पे, अपराजय के विरोधियों को बल और साहस दोनों मिला । विरोधी गुट , इस बात को, कुलपति के समक्ष मनवाने में कामयाब हो गया कि कालेज के शैक्षणिक स्तर के घटते ग्राफ औऱ भ्रष्ट होती प्रशासनिक व्यवस्था के पीछे सिर्फ अपराजय की नेतागीरी और उन स्टूडैंट का हाथ है जो बिना किसी योग्यता के ही इस शैक्षिक संस्था में भर्ती हो गए है। 
इन स्टार स्टूडेंट के विरोध में आ जाने से ही कॉलेज प्रशासन जागा स्टूडेंट भर्ती रोकी गई और छात्रसंघ चुनाव रद्द करने का विचार भी स्वरुप लेने लगा।
आखिर ये स्टार स्टूडैंट कौन थे ।एक नजर में इन सारे किरदारों को समझने की कोशिश करते है........
नायिका सिंह- स्टेट लेवल स्विमर जो स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत कालेज में प्रवेश प्राप्त किया
आऱव राय-  कोशाध्यक्ष प्रथम वर्ष
अनारा पटेल- कालेज टापर प्रथम वर्ष
किंजल आर्य़ा –आरव राय की मुहबोली बहन। लटके झटके दिखा के कॉलेज में सस्ती लोकप्रियता हासिल की
पंखुड़ी गुप्ता- शातिर दिमाग, लौण्डों को मोबलाईज करने में माहिर ,लवजिहाद और हिंन्दू मुस्लिम विवाह की वकालत करके चर्चा में आई ।हरामी लौण्डों में खासी लोकप्रिय
खैर इन सब, हो हंगामें से बेपरवाह अपने 10 बाई 10 के कमरे में अपराजय जो इस कमरें को हवेली कहता है  दोस्त यारन और कन्या मिंत्रों के बीच कैरम की बाजी खेल रहा होता है।
नाइसिल पावउडर से सने बोर्ड पे स्ट्राईगर चमाकते हुए अपराजय ज्वलत से कहता है ।
अगर मैनें ये रानी (क्विन) पिला ली ,तो क्या तुम उस विरोध को अपने शब्दों से दबा दोगे जो मेरे खिलाफ हो रहा है।
जिसके बाद कुछ ऐसा होता है जो अपराजय की होने वाली हार के मायने बदल के रख देता है ।  
अगले दिन नए पुराने छात्रों का हुजम लगा और कॉलेज परिसर में कुलपति का पुतला फूंका जा रहा था जिसकी अगवाई ज्वलत कर रहा था । कहानी में ये किरदार अभी सिर्फ अपराजय के इशारे पे ही प्रगट हुआ है। क्योंकि आज ही कुलपति ने छात्र संघ के चुनावों को रद्द कर दिया है। इस चुनाव में स्वयम को अपराजय की फ्यूचर वाईफ बताने वाली गणिका पहली बार महांमंत्री की भी दावेदारी ठोक रही थी। जिसके अंदर ऐसा कुछ नहीं था जो नोटिसेबल हो लेकिन जो था उससे कॉलेज के कुलपति का कलेजा सुन्न हो गया था। गणिका कॉलेज के ट्रस्टि की इकलौती कन्या थी । और अभी अभी उनके आदेश से ही कॉलेज में होने वाली एजूकेशन फंडिग रोक दि गई थी।
अपराजय से गणिका के संबधों की माया तो सिर्फ वहीं दोनों ही जानते थे । लेकिन जब ज्वलंत गणिका के समर्थन में उतर आया तो गणिका के भोकाल में क्रांति आ गयी । माईक 123 ,सांउड चेक, करने के बाद  ज्वलत ने गणिका को भाभी कह के संबोधित करते हुए कहा की ,अपराजय, हवेली पे उन कन्याओं और बालकों की कान्सिलिंग और एडमिशन की व्यवस्था सेट करने में व्यस्त है जिनका इस सत्र में प्रवेश नहीं हुआ है। इसलिए मुझे आना पड़ा । मै आपको आस्वस्थ कर देना चाहता हू कि विगत वर्षो की भाती ही इस वर्ष भी चुनाव होगें ।और भारी सख्या में यहां फिर से उन बालक और कन्या छात्रों को एडमिशन दिया जाएगा जिनका एडमिशन किसी और कालेज में नहीं हुआ है। कालेज प्रसाशन तक अगर मेरी आवाज पहुच रही है तो वो सुन ले
उड़ाता तीर नही लेना चाहते तो समझदारी यही कहती है कि वो अपनी  हद में रहे। उनका काम सिर्फ छात्रों की सेवा करना है । आदरणीय कुलपति जी से विनम्र निवेदन है कि वो छात्रों का मार्गदर्शन करने में सहयोग करे ना कि कुछ शरारती तत्त्वों की बात सुनकर छात्रों के संवैधनिक अधिकारों का हनन करे । रही बात उनकी ,जिन्होंने इस आग को हवा दी है ।  तो वो अपने मुँह पे स्वतः ही कालिख पोत ले अन्यथा हगनालाये के पानी से उनका शुद्धिकरण कराया जाएगा। और इस पूरे अनुष्ठान में किसी भी प्रकार का लिंगभेद नही होगा। ज्वलन्त का ये उदघोष इस बात का प्रमाण थे कि अपराजय के खिलाफ हो रहे विरोध का अंत हो चुका है ।
कहानी के इस अध्याह का अंत भी यही होता लेकिन ये अंत कहानी का नहीं है ।  बदले की कारवाई में बदलते चरित्र अपना रंग दिखाए गे । महत्वकाक्षाएं हद पार करेगी और मानवीय सवेदनाए दम तोड़ देगी ।  दिखावटी समाजिकता और बनावटी प्यार की धज्जीया उड़ने में ज्यादा देर नहीं है। बस पकड़ के चलिए ...
इंसान क्या चरित्र क्या सच्चाई तो बस कंलक बोलते है
         कत्ल क्या खंजर क्या खुन से सने हाथ बोलते है

      

No comments:

Post a Comment