जैसा कि अंदेशा सुष्मिता को पहले ही था कि कभी काबूली वाले की बंगालन बीवी को मार दिया जाएगा । 90 के दशक में , सुष्मिता की जद्दोजहद और आप बीती तो हम या हममे से कुछ जानते है । लेकिन जो मरहूम भारतीय लेखिका से बेखबर रहे , उन लोगो ने भी तालिबानियों की गोलियों से छलनी लेखिका के बारे में जाना ।
जो अबतक खामोशी से मौत की कब्रगाह जीवन की राह तलाश रही थी।
भारतीय मूल की लेखिका सुष्मिता बनर्जी की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।अफ्गानिस्तान के खरना में , 49 वर्षीय बनर्जी को उनके घर के बाहर ही दरंदिगी से कत्ल करके उनकी लाश को एक धार्मिक स्कूल में फेंक दिया गया । स्वास्थ्य सेविका के रूप में काम करने वाली बनर्जी, सईद कमला के नाम से भी जानी जाती थीं। वर्ष 1995 में बनर्जी द्वारा लिखी गई किताब 'अ काबुलीवालाज बेंगाली वाइफ' काफी लोकप्रिय हुई थी और भारत में बेस्टसेलर बनी थी। उनकी यह किताब अफगानिस्तान में उनके पति के साथ दर्द से सने पलों और तालिबान के आंतक औऱ जुल्मों से बचकर देश पहुंचने तक की घटना पर केंद्रित है। अभिनेत्री मनीषा कोइराला अभिनीत 'एस्केप फ्राम तालिबान' उनकी ही किताब से प्रेरित थी। 8 सालों के लंबे और रुह कपा देने वाली दास्ता को सह कर उसे शब्दो के टुकड़ो से समेटने वाली सुष्मिता आखिर फिर क्यों उसी दलदल में पहुंच गयी ...ये एक सवाल है जिसका जवाब भी उनकी मौत के साथ ही दफन हो गया। कोलकाता के एक बंगाली ब्राह्मंण परिवार में जन्मी सुष्मिता कोलकाता में ही व्यवसाय करने वाले अफगानी बाशिदे जाबांज खान के प्यार में पड़ गईं। वो दौर सन 89का था.. घर वाले खफा थे,.. उनके प्यार के खिलाफ थे लेकिन सुष्मिता ने अपनी हद से बाहर निकल कर प्यार की हद को छू लिया और शादी रचा ली। अपने देश ले जाकर जांबाज खां , सुष्मिता को अपने घर वालों के बीच अकेला छोड़ , बिना कुछ बताए वापस कोलकाता आ जाता है । जिसके बाद शुरु होती है दर्द, छटपटाहट और बेबसी से सिमटी ...बेबस भारतीय नारी की दास्ता। जिसे सिर्फ सुष्मिता के ही शब्द बयां कर सकते थे ।
हम तो बस यहीं कह सकते है कि इस तालिबान का खात्मा , हमे हमारे मानवजाति को बचाने के लिए ही नहीं , अपने घरों को बचाने के लिए ,अपनी आजाद सोच को बचाने के लिए भी जल्द से जल्द करना होगा... वरना ये वीरान और सुनसान जगहों पर छिपे कायर हमारे घरो में घुस जाएगे । हमे ही नहीं हमारी पूरी आत्मा को भी नुकसान पहुंचाए गे। ये पोस्ट 2013 का है आज कुछ याद आया तो फिर से इसे री पोस्ट कर रहा हू । स्मृत कुमार
Monday, September 4, 2017
अ काबुलीवालाज बेंगाली वाइफ
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