Wednesday, December 19, 2018

तीन का तेरह

तीन का तेरह
फ़िल्म और टी वी संस्थान में आज हम कहानी के कनफ्लिक्ट और क्राफ्टिंग की समस्या से थोड़े परेशान थे। इमोशन में पोटास की कमी थी । टी वी फिक्शन राइटिंग के इस पौधशाला के मेंटर गौरव गुरु ने एक पहल की और कहाँ । ऐसा है जावो जिंदगी से जिन्दगानी सिख के आवो।
हम 13 की टीम 3 सब टीम में बट गयी
कुछ चेले चकले चक्कलस और चोद पट्टी में कहानी ढूंढने निकल गए।
कुछ शनिवार वाड़ा गए एक ऐतिहासिक दिल्लगी का दरबार देखने  ।
बाकी तीन चेले विवेक मैं और विभोर साथ मे एक चपाटी मोनिका के हिस्से अस्पताल आया ।
और अब हम अस्पताल के दौरे पे थे ।
अस्पताल बराबर  दर्द से पीड़ित, बेसहारा, पगलाए और असहाय लोग , सफेद मारकीन में लिपटी लाशें ,और चीखती आवाजे ऐसा कुछ मन मे लेकर गया था ।
लेकिन 3 सितारा अस्पताल को देखकर चौक गया क्योंकि महादेव यहां सब चौचक और चकाचक था।
सब कुछ  सुरमयी, सुमुधर और व्यस्थित था। लोग बीमार कम  रूटीन चेकअप के लिए आए हुवे लग रहे थे।
इमरजेंसी ,ओपीडी, फार्मेसी का गोलचक्कर लगाने के बाद मैं अस्पताल के केंद्र में गया जहाँ रेस्प्शन था । वहाँ की ऑपरेटर लोगों से मोह्बत भरी महकती बाते कर रही थी। ऐसा लग रहा था मानो बातो से ही बीमारों पे मलहम मल रही थी। जिसके बाद बीमार और उसके साथ के लोग हिलते मिलते मजा मस्ती करते ओपीडी की तरफ  के साथ जाते नजर आ रहे थे।
मुझे अब तक ऐसा कुछ नहीं मिला जिसको सोच के मैं अस्पताल आया था।
दिमाग अंदर ही अंदर गरिया रहा था कि भोसड़ी के रतिया में आये होते तो जली कटी, कपड़े फटी, रेप,चोरी, बदमाशी वाली कहनिया मिलती इमेरजेंसीय में पैसा लेकर डेथ सर्टिफिकेट जारी करता डॉक्टर तो जरूर मिलता लेकिन साला अभी तो कुछ भी मार्मिक और ज्वलंत नहीं है ।
अभी सोच ही रहा था कि तभी एक डॉक्टर कम वार्डबॉय कम फार्मिस्ट कम मास्टर ऑफ आल एक फैमिली के साथ आया। अनायास ही मैं भी उसके पीछे लग गया तकरीबन एक घंटा उसके आसपास बिताने के बाद जो पता चला वो ये कुछ ऐसा था।
ये जनाब अपने मोहल्ले के झोलाछाप डॉक्टर विशेषज्ञ थे जिनकी ऐसे 3 सितारा हॉस्पिटल में बड़ी अच्छी पैठ थी । वार्ड बॉय नर्से डॉक्टर फार्मिस्ट से ऐसा याराना था कि बिल्कुल जीजा साली वाली मोह्बत नजर आ रही थी।
परिवार वाले उनके साथ अपने घर के मुखिया को लेकर आये थे जिनको पेट में काफी दर्द था। अल्ट्रासाउंड, ई सी जी, डाइबटीज का टेस्ट कराने में उनको ताबड़तोड़ प्राथमिकता मिल रही थी बाबू विशेषज्ञ की वजह से । इस बीच फार्मिस्ट की दवाई से लेकर सारे टेस्ट तक इनका कमीशन भी बन रहा था जो उनके याराने में छिपा था।
लोग भी अच्छा ट्रीटमेंट के नाम पे लिवर के एक फोड़े को लिवर सिरोसिस समझ रहे थे। ये केस उस परिवार के मुखिया था।
तीन सितारा हॉस्पिटल के एजेंट हर तरफ से पेशेंट ला रहे थे और हॉस्पिटल  मजे में था ।
और अब जब मैं यहाँ हॉस्पिटल के अंदर देख रहा था तो हर 3 में से एक परिवार वाला ऐसे ही किसी झोलाछाप विशेज्ञ के साथ मारा रहा था 3 का तेरह लगा रहा था।

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