Wednesday, December 19, 2018

पुरस्कार सीजन 2

एक्ट 1
संघमित्रा के आस पास अब कहने भर के ही दोस्त और रिश्तेदार है ,जो अब वीरपुर इंडस्ट्रियल क्षेत्र में बनी बड़ी बड़ी कंपनियों में काम कर रहे है और उनके परिवार को जमीन का भारी भरकम मुआवजा मिला है। उनकी आर्थिक स्थिति में भारी फेरबदल आया है और अक्सर वो लोग  पैसा रुपये के दम पर दूसरे शहरों से आये मजदूरों का मानसिक और शारीरिक शोषण करते है।
पूजा संघमित्रा के जन्म दिन पे मिलने आती है और उसे एक एंड्रॉयड फ़ोन गिफ्ट करती है । संघमित्रा उसे लेने से इनकार करती है तो पूजा जिद करके उसे फोन दे देती है कि ये फ़ोन पुराना है। उसने दूसरा फ़ोन लिया है इसलिए उसे दे रही है। संघमित्रा ने फ़ोन ले तो लिया लेकिन उसे यूज़ नहीं किया । अक्सर इस बात से पूजा नाराज रहती है।
संघमित्रा पिछले 6 महीनों से अपने जमीन के पास ही टीन शेड के मकान में रह कर अपना जीवन निर्वाह कर रही है। उसकी आर्थिक स्थिती अच्छी नहीं है क्योंकि वह बेरोजगार है और संग्रहालय का काम अभी शुरू नहीं हुआ है।
संघमित्रा की दोस्त प्रभा की शादी है । शादी में पहुचती है तो उंसके गंदे कपड़े को देखकर प्रभा अपनी शादी में जयमाला के समय संघमित्रा को  स्टेज पे चढ़ने से रोक देती है।
संघमित्रा के इस अपमान के बाद शादी में वापिस जा ही रही थी की उंसके दो दोस्त सुनील और अभय उसे घर छोड़ने के बहाने रास्ते मे उसके साथ बत्तमीजी करते है । संघमित्रा चलती गाड़ी से कूद के कर अपनी जान बचाती है। संघमित्रा को बच्चा और बबलू डॉक्टर विजय के पास ले जाते है।
एक्ट 2
कुछ दिनों बाद जब संग्रहालय का निर्माण चीफ अफसर जगन मिश्रा की देख रेख में शुरू होता है। संघमित्रा को कुछ राहत मिलती है जब उसे पहली सैलरी मिलती है । गौर करने वाली बात ये है की जगन और विक्रमआर्मी में साथ थे और गुप्त रूप से प्रियंका के भी जगन के साथ अवैध सबन्ध है।
संघमित्रा को अपने पिता के लिखे कुछ लेटर मिलते है जो उन्होंने ने संघमित्रा की माँ को किसी भी वॉर पे जाने से पहले लिखे थे । संघमित्रा इस बात से बेहद प्रभावित होती है और हजारों सैनिकों के आख़री खतों को कलेक्ट करती है जो वो आखरी बार अपने परिजनों को भेजते थे।
संघमित्रा चीफ ऑफिसर की मदत से संग्रहालय में एक पोस्ट ऑफिस का डमी मॉडल तैयार करती है, जहा लोग सैनिकों के लेटर्स से उनके आखरी पलों और उनके मनोभावों को समझ सकते है।
विक्रमजीत सिंह को बबलू के माध्यम से अभय और सुनील के बारे में पता चलता है तो अपने लोगो को बोल के सुनील और अभय को एक आपराधिक मामले में नामजद करा कर पुलिस के द्वारा उन की जमकर पिटाई करवाता है।
सुनील और अभय की गॉड फादर प्रियंका सिंह है। दोनो अपराजय के अवैध काम को सम्हालते है । प्रियंका को लगता है कि विक्रम की नजर अब उसके कारोबार पे है।
विक्रम की एक रैली में अपराजय और विक्रम के समर्थन आपस मे भीड़ जाते है ।
एक दैनिक अखबार एक सैनिक की आप बीती प्रकाशित हो जाती है । सैनिक ने कुछ आर्मी ऑफिसर्स पे बेहद गंभीर आरोप लगाए जिनमे विक्रम के नाम का जिक्र था जब वह आर्मी में था। सैनिक गोपाल (28) ने  अमानवीय व्यवहार के बारे में बताया और ये भी बताया कि उन्हें मेस में बेहद खराब खाना मिलता है  और भोजन में उन सामग्री का प्रयोग होता है जिनकी एक्सपायरी डेट बीत चुकी है।
मिडपॉइंट
सैनिक गोपाल की देशभक्ति पे शक किया जाता है । सैनिक का उंसके साथी सैनिकों द्वारा कई बार निरादर होता है औऱ वो सैनिक अखबार के हेड ऑफिस  के सामने आत्मदाह कर लेता है । अपने सोसाइड नोट में वह लेटर को छपवाने वाले को अपनी मौत का कारण मानता है।
लेटर में विक्रम का नाम आने से विक्रम को जांच पूरी होने तक नैतिक आधार पर अपने पद से रिजाइन करना पड़ता है।
मामले की जांच होती है तो पता चलता है कि लेटर का रिसोर्स  सैनिक संग्रहालय का ही कोई सदस्य है। जांच रिपोर्ट में ये बात सामने आती है कि संघमित्रा ने  सारे खत,  सैनिकों के परिवार वालो से एकत्र किए थे ।
सैनिक के परिवार के लोगों ने संघमित्रा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई क्योंकि संघमित्रा ने ये खत छपवा के सैनिक की निजता का हनन किया जिसके कारण सैनिक को आत्मदाह जैसा कदम उठाना पड़ा।
पोलिटिकल पत्रकार पूजा मंडल जो शुरू से ही इस पूरे मामले को गंभीरता से देख रही थी । संघमित्रा उससे मदद मांगती है क्योंकि सैनिक का लेटर पूजा  के अखबार में छापा है।
पूजा अभी संघमित्रा की कुछ मदत कर पाती की उसे पहले ही रहस्यमय तरीके से उसकी मौत हो जाती है।
प्रशासन पे सैनिक के परिवार वाले दबाव बनाते है और संघमित्रा को पुलिस रिमांड में ले कर पूछताछ करती है।
संघमित्रा को क्यूरेटर की जॉब से भी अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया जाता है।
पुलिस को भी ये लीड मिलती है कि पूजा ने आखरी बार संघमित्रा को ही फ़ोन किया था ।
अब पूजा के कत्ल के मामले भी पुलिस  संघमित्रा से पूछताछ करती है।
संघमित्रा पुलिस कस्टडी में रहते रहते मानसिक रूप से टूट जाती है । जेल के बैरक में बैठी संघमित्रा से विक्रम की ख़ास पुलिस अधिकारी मालिनी जोशी मिलने आती है । जो बताती है कि विक्रम ने उसे भेजा है। वह सिर्फ इतना ज्ञात करना चाहता है कि तुमने ऐसा क्यों किया । संघमित्रा कहती है की उसने विक्रम के खिलाफ कुछ नहीं किया ।
संघमित्रा को विक्रम के सच्चे प्यार का अहसास होता है। उसे लगता है कि अगर वह विक्रम के साथ होती तो उसे इतने बुरे दिन नहीं देखने होते। उसके पास भी ढ़ेर सारे सुख होते और विक्रम को भी समझ आता कि ये सब मैने नहीं किया।
मौत से पहले पूजा ने प्रियंका सिंह और जगन का एक स्टिंग ऑपरेशन किया जिसको वह अपने गूगल ड्राइव में सेव कर ही रही थी कि कुछ लोगों ने उसकी हत्या कर दी और उसका फ़ोन, लैपटॉप सभी कुछ जला दिया और सिर्फ एक पैन ड्राइव अपने साथ ले गए।
इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर मालिनी जोशी (32) जो विक्रम के कहने पर गुप्त रूप से इस मामले की छान बिन करती है तो उसे संघमित्रा के घर से एक और फ़ोन मिलता है । ये फोन वहीँ फ़ोन था जिसे पूजा ने दिया था और इसमें अभी भी पूजा का प्राइवेट गूगल अकाउंट एक्टिव था । गूगल ड्राइव में मालिनी को एक  unfinished file मिलती है और इसी प्राइवेट अकाउंट में पूजा वो वीडियो save kar रही थी जब उसकी हत्या की गई।  ये वीडियो नीलिमा विक्रम को देती है।
विक्रम उस वीडियो फ़ाइल को ओपेन करता है तो उसमे प्रियंका और संग्रहालय के चीफ ऑफिसर जगन मिश्रा सेक्स कर रहे है । टेप में चीफ ऑफिसर प्रियंका से कह रहा  है कि उसने जानबूझ कर संघमित्रा के बिना जानकारी के गोपाल के लेटर पढ़े और तुम्हारे ही कहने पे विक्रम का नाम उछाला गया।
विक्रम, प्रियंका को खूब धमकी देता है और प्रियंका उस टेप को पब्लिक ना करने की बात करती है क्योंकि इस बात से उसकी और उन दोनों के खानदान की बहुत बदनामी होगी । लेकिन विक्रम उसकी बात नहीं सुनता और अपने रिसोर्सेस का इस्तेमाल करके उस टेप को सोशल मीडिया पे पब्लिक कर देता है।
उसी रात ही चीफ अफसर जगन की गिरफ्तारी हो जाती है।
चीफ ऑफिसर ने अपने इकबालिया बयान में ये भी खुलासा किया कि  "पूजा मेरा स्टिंग ऑपरेशन कर के मुझे ब्लैकमेल कर रही थी। जिसके बाद मैंने पूजा का कत्ल करा दिया
संघमित्रा को बरी किया जाता है और उसकी नौकरी उसे वापस मिलती है ।
इस बीच विक्रम के ऊपर प्रियंका एक जानलेवा हमला कराती है। विक्रम को भी गोली लगी लेकिन वो बच निकलने में कामयाब हो गया। विक्रम की सुरक्षा की बेहद गोपनीय जानकारी प्रियंका को थी। ऐसे मौके पे विक्रम का घर भी सुरक्षित नहीं था और वह किसी पे विश्वास नहीं कर सकता था।
एक सुरक्षित स्थान की तलाश में घायल विक्रम, संघमित्रा के पास जाता है । संघमित्रा विक्रम को अपने घर में रात गुजारने देती है । अब विक्रम एक बार फिर से संघमित्रा से अपने प्रेम का इजहार करता है और अंदर से टूटी हुई संघमित्रा भी विक्रम को बताती है कि वो भी उससे से प्यार करती है। संघमित्रा को विक्रम को बोलती है कि वो हमेशा उसका साथ निभाएगी और उसके लिए कुछ भी करेगी। और एक कुशल राजनीतिज्ञ की तरह विक्रम इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहता।
विक्रम को मंत्रिमंडल में फिर से डिप्टी सीएम की पोस्ट मिलती है और प्रियंका की राजनीतिक पारी का हमेशा के लिए अंत होता है लेकिन न्यायिक जांच से बचने के लिए वह अंडर ग्राउंड हो जाती हैं।
पुलिस कमिंशनर विजेंद्र राणा इंद्र देव सिंह को बताते है की कुछ कैदियों की आपसी मारपीट में चीफ ऑफिसर जगन मिश्रा  की किसी ने हत्या कर दी।
विक्रम संघमित्रा को लेकर कुछ दिनों के लिए गुप्त रूप से विदेश चला जाता है । संघमित्रा और विक्रम प्यार भरा समय बिताते हैं। वही विक्रम संघमित्रा को कान और नाक का एक खूबसरत Ear और Nose pin देता है।
विक्रम संघमित्रा को सीएम की हत्या में उसकी मदद करने के लिए राजी कर लेता है। विक्रम संघमित्रा को पूरी सावधानी से सारे समीकरण समझता है की सीएम की मौत के बाद विक्रम को औपचारिक तौर पे राज्य का सीएम बना दिया जाएगा । एक जांच दल का गठन करे गा जिसकी अगुवाई जोशी करेगी कुछ सालों की जांच पड़ताल के बहाने सबूत और साक्ष्य को मिटा दिया जाएगा और जब रिपोर्ट सामने आएगी उसे किसी आतंकी घटना का नाम दिया जाएगा और तब तक चुनाव आ जाएंगे और सीएम की मौत की निष्पक्ष जांच से पब्लिक का सेंटीमेंट उंसके साथ होगा और वह फिर से चुनाव जीत जाएगा।
दोनो कुछ दिन बाद विदेश दौरों से लौट आते है और अपने अपने काम में लग जाते है।
विक्रम बहुत तेजी से संग्रहालय का निर्माण कार्य पूरा कराता है।
सीएम के संग्रहालय दौरे की सटीक जानकारी जोशी जी विक्रम को दे देती है ।
विक्रम संग्रहालय के उद्घाटन के दिन सीएम के मौत का दिन मुकर्रर करता है ।
विस्फोट सामग्री का पूरा जिम्मा संघमित्रा को दिया जाता है। संघमित्रा की मदत से  बिना रोक टोक के जिलेटिन की छड़े और आर डी एक्स संग्रहालय में ले जाया जाता है।
जैसे जैसे उद्घाटन का दिन नजदीक आता जाता है संघमित्रा विचलित होती जाती है
जब वो संग्रहालय में काम करने वाले बबलू, बच्चा और संकर को देखती है तो खून से सने उनके चेहरे उसे ये अपराध ना करने की याचना करते है । लोगो के कटे फटे हाथ पैर संघमित्रा को दिखाई देते है । अपनी माँ बाप की प्रतिमाओं को देखकर उसे याद आता है कि जिस राजा और मुख्यमंत्री की जान बचाने में उसकी माता पिता ने बलिदान दिया आज उसी राजा को मार कर वह अपने सुख की कामना कर रही है। संघमित्रा की राजभक्ति उंसके प्रेम के ऊपर हावी हो रही है।
संघमित्रा ये जानती थी कि विक्रम की पहुच मुख्यमंत्री के पूरे कार्यालय में है अगर वो सीधे मुख्यमंत्री को उनकी हत्या वाली बात करने गयी तो विक्रम को इसकी भनक लग जायेगी । उसे याद आता है कि उसकी माँ ने बताया था कि मुख्यमंत्री को जिनसे भी खतरा होता है ,उन लोगो की सूचना वह मुख्यमंत्री को अखबार में निकलने वाले राशि फल के माध्यम से देती है। संघमित्रा के माँ के डायरी में उन अखबारों के नाम थे जो मुख्यमंत्री टेबल पे सबसे पहले पढ़ते थे और उसमे एक नाम एस्ट्रोलॉजर देविका का था ये हमेशा संघमित्रा के मा के संपर्क में थी।
संघमित्रा एक एस्ट्रोलॉजर देविका से संपर्क करती है और उनके माध्यम से लगातार एक हफ्ते तक प्रजातंत्र अखबार में वृषभ राशि वालों को सिंह राशि के इंसान से बचने की सलाह दी जाती है।
मुख्यमंत्री जब इस राशिफल को पढ़ते है तो उन्हें पता चलता है कि सिंह राशि तो विक्रम की है अपने गोपनीय पोलिटिकल इंटेलिजेंस से उन्हें पहले देविका और उसके बाद संघमित्रा का पता चलता है।
मुख्यमंत्री अपने ख़ास लोगों से विक्रम की गतिविधियों का पता लगाने के प्रयास करते है तो सबकुछ परत दर परत खुलने लगती है ।
विक्रम एक दिन संघमित्रा से प्यार करते हुवे एक नया नेक लेस और नए nose pin और ear pin से पुराने nose pin और ear pin को बदल देता और वापस अपने आवास पे लौट जाता है।
विक्रम पुराने nose pin aur ear pin से एक ट्रांसमीटर और एक हिडेन कैमरा निकलता है। कैमरे की तस्वीरों और ट्रांसमीटर में कैद आवाज सुनकर  विक्रम को पता चलता है कि संघमित्रा ने उसके खिलाफ मुख़बरी कर दी है।
वो वापस संघमित्रा के पास लौटता है और उसे गर्दन से पकड़ लेता है की तभी मुख्यमंत्री  का गोपनीय दस्ता विक्रम और संघमित्रा का अपहरण कर लेता  है।
मुख्यमंत्री के ख़ुफ़िया ठिकाने पे विक्रमजीत सिंह को मौत के घाट उतारने और फिर उसे एक्सीडेंट का रूप देने की तैयारी हो रही है । मुख्यमंत्री को डर है कि अगर विक्रम के ऊपर सीधी करवाई हुई तो विक्रम के साथी विधायक बगावत कर देंगे और सरकार गिर सकती है।
संघमित्रा को इंद्रदेव सिंह बुलाते है और उससे क्षमा मांगते है कि उन्होंने उंसके माता पिता का उचीत सम्मान नहीं किया । संघमित्रा ने प्रेम और सुख को ठुकराते हुवे राजभक्ति निभाते हुवे इंद्रदेव की  जान बचाई ।इन्द्रदेव, संघमित्रा से पुरस्कार स्वरूप कुछ भी मांगने को बोलते है।
संघमित्रा आखों में आंसू लिए राजा से कहती है कि फिर आप मुझे भी विक्रम के साथ मृत्यु दंड दीजिए क्योंकि मैं आज भी उससे प्रेम करती हूं और वो उस छोटे विमान में बैठ जाती है। इस विमान को क्रैश कराने की तैयारी हो रही ताकि सभी को लगे कि विक्रम की मौत एक प्लेन क्रैश में हुई है।

No comments:

Post a Comment