Friday, November 3, 2017

16 दिसंबर

16 दिसंबर की रात
दिल्ली में चलती बस में एक लड़की के साथ हुई बलात्कार और जघन्य यौन अपराध  की घटना के बाद सड़क से लेकर संसद तक महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध के खिलाफ देश का हर शख्स उबल रहा था । तकरीबन 9 महीने तक चली इंसाफ की लड़ाई में  आरोपियों की घिनौनी हरकत की सजा मौत से कम नहीं थी ।
कोर्ट ने ओरोपियों को सजा ए मौत सुना कर दो टूक एलान कर दिया  कि महिलाओं के सम्मान और अस्मिता को हल्का समझने वाले भेड़िये अपनी खाल के साथ अपनी आत्मा को भी बदल ले । या अपने अंत के दिन गिनने  शुरु कर दे ।
16 दिसंबर की घटना के बाद ऐसा नहीं है कि देश में महिला अपराधों कमी आयी है ।
लेकिन हमे इस बात को भी नहीं भूलना  चाहिए की सरकार और न्यायालय ने कुछ ऐसे फैसले महिलाओं के हक में लिये है जो आने वाले दिनों उनके सम्मान और आजादी के लिए मील का पत्थर साबित होगें ।
हेल्प लाईन की नई पहल दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए शुरुआत की । इस हेल्पलाइन का नंबर 181 है जहांप्रतिदिन 3,000 से अधिक कॉल आती हैं ।
ऐसी पहल उत्तर प्रदेश और गुजरात सहित कुछ दूसरे राज्यों में भी देखने को मिलीं ।
कड़े कानून -संसद ने बलात्कार विरोधी  विधेयक को पारित किया ।
नए कानून में बलात्कार या सामूहिक दुष्कर्म के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है । इस तरह का अपराध दोबारा करने पर अधिकतम सजा के रूप में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि
बलात्कार से पीड़ित और अपराधी के बीच हुए समझौते को दोषी की सजा कम करने का आधार नहीं बनाया जा सकता ।  दिल्ली सरकार ने बलात्कार संबंधी मामलों के लिए सभी जिला अदालतों में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया ।
महिला सेल का गठन
दिल्ली के हर थाने में महिला पुलिस की नियुक्ति को अनिवार्य किया गया है ।
महिलाओं से संबंधित मामलों की जांच अब महिला पुलिस अधिकारी ही करेगी ।
घूरना ईवटिसिंग भी बना अपराध
नए कानून में महिलाओं के घूरने और पीछा करने जैसे मामलों में , दूसरी बार के अपराध को गैर जमानती जुर्म बनाया गया है ।
तेजाब हमलों पर भी कोर्ट सख्त
महिलाओं पर तेज़ाब हमला करने पर दस साल तक कारावास का प्रावधान पास हुआ है ।
ये पोस्ट 2012/ 13 का है आज कुछ याद आया तो रिपोस्ट किया है । स्मृत कुमार