Wednesday, May 29, 2019

History sheeter

HISTORY- SHEETER
Writer- SMRIT/8317053776/smritsingh1@gmail.com/Mumbai

Introduction
Brijesh singh (21) - Protagonist
Gama singh (48) - Brajesh'father
Maithalee rai (20)- Brijesh's opponent
Radharaman rai(50) - land lord and maithlees's father
Tribhuvan singh- maithilee's cousin
Raghuveer yadav- Gram pradhan
Raman- Maithlee'boyfriend
TATA Singh - Antagonist
Pilot -TATA Singh'son
Shivpal and sadhu - charcoal mafiya
Handle- Informant
Vishvash Nepali- Brijesh'Right hand
Rana shivendra - Tribhuvan'brother
Ansansri brothers'-mafia and politician
Harishankar Tiwari-CEO of crime
BKD-Raman'brother
Reena koirala -Miss universe of Banaras
Sahib singh- right hand of radharaman
Thakur - Bhaiya gang leader
Abhi pratap-Brijesh's brother

लॉग लाइन -ये कहानी हिस्ट्रीशीटर से माफिया बने ब्रेजेश सिंह के रंक्त रंजित सफर की है । संगठित अपराध में हिस्ट्रीशीटर का शामिल होना तो माफ़िया होने की पहली शर्त है. फिर Local Politics और Administration में दख़ल रखना दूसरी शर्त है और सबसे आखरी है ब्लैक को व्हाइट करना और जब यह तीनों फ़ैक्टर मिलते हैं, तभी किसी हिस्ट्रीशीटर को 'माफ़िया' कहा जा सकता है"

इंसान क्या चरित्र क्या सच्चाई तो बस कंलक बोलते है
         कत्ल क्या खंजर क्या खुन से सने हाथ बोलते है
साल 1984, बनारस में सबकुछ बदल गया महादेव के बाद माफिया से बनारस को आपराधिक पहचान मिली और हिस्ट्रीशीटरों के आतंक का शंखनाद हुआ।
ये वो दौर था जब गैंगवार शब्द इटली से बनारस में इम्पोर्ट हुआ । लौंडे तमंचा और दोनाली से अपनी गांड खजुवाह रहे थे और  देर रात अलका ब्रांड साईकिल चोरी हो रही थी ।
मौके, बेमौके पूरा शहर गोलियों की तड़तड़ाहट से सुन्न पड़ा  था  लेकिन ये सबकुछ तो गुरु केवल ट्रेलर मात्र है,
"बनारस को अभी जमीन विवाद, रेशम कारोबार, शराब ठेका और लाइसेंसी राज की लड़ाई में रक्तरंजित होना था और पूरे शहर में खून के चिराग जलने बाकी थे "।
बनारस, वरुणापार गाँव का पढ़ाकू और लड़ाकू ब्रेजेश सिंह बीएसी मैथ प्रथम वर्ष यूपी कालेज का युवा तुर्क है । छात्र राजनीति में चाचा चौधरी और बाहुबल से साबू वाली हनक रखता है । विश्वप्रसिद्ध रामनगर की राम लीला में जब ब्रेजेश, लंकेश रावण बनकर अट्टहास करता है तो एक बार तो भूतपूर्व यूनिवर्सिटी अध्यक्ष रमन सिंह की भी गांड चोक ले लेती है ।
रामलीला की रामायण में जानकी सीता के किरदार में अक्सर मैथली राय को देखा जाता है जो कालेज स्तर पे ब्रेजेश की सबसे बड़ी राजनीतिक विरोधी है और अध्यक्ष पद का चुनाव जीत कर यूपी कालेज में एक बार फिर से भूमिहार वर्चस्व लाने के लिए वंचनबद्ध है ।
बिहार के पूरे व्यापार मंडल के पिछवाड़े में रंगदारी का ऐसा मूठ पैना हुआ कि समस्त व्यापारी समाज को बबासीर और भकन्दर लिए हुवे  बनारस में अपना चबूतरा टिकाना पड़ा । इनमें से ही एक है मैथली राय के पिता जमीन व्यापारी राधारमण राय जिन्होंने बनारस के ग्रामीण इलाकों में काफी जमीनें खरीदी  और प्लाटिंग शब्द अस्तिव में आया ।
"सन 84 ना आता तो ऑपरेशन ब्लू स्टार न होता ,इंद्रा जी की मौत ना होती, ना, सिखों को जलाया जाता और ना ही ब्रेजेश के पिता की मौत होती और यही से ब्रेजेश का जरायम की दुनिया में श्रीगणेश होता  है जिसका सीधा संबंध "भोपाल गैस कांड" से था" ।
ब्रेजेश के पिता गामा सिंह जल विभाग में मुंशी है । गामा सिंह ने अपने सरकारी रसूख की अदावत शुरू की  तो वरुणापार गाँव मे कई पोखरे, कुवे, खोद दिए गए, जगह जगह  पानी के हैंडपंप लग गए । पूरे गाँव मे हैजा, और दूषित पानी की बीमारी से मरने वालों की संख्या में गिरावट आई । ग्रामीणों के लिए गामा गुरु सरपंच के लिए नया प्रोजेक्टेड फेस बन गए । मौजूदा सरपंच रघुवीर यादव के झाट जल गई  और वह  गामा सिंह के ख़िलाफ़ हो गए ।
गाँव के दूसरे दबंग "टाटा सिंह" जो कानपुर कोयला मंडी के माफिया शिवपाल के खजांची है। टाटा सिंह का बेटा पायलट एक उभरता दबंग है जिसका अपना गैंग है । इस बाप बेटे का गामा सिंह के साथ पुराना जमीनी रगड़ा है । एक बार इसी विवाद के चलते पंचायत ने टाटा, और  पायलट को 14 साल के लिए गांव बदर (तड़ीपार) कर दिया ।
रघुवीर यादव ने टाटा सिंह के साथ मिलकर गामा सिंह की हत्या का प्लान बनाया और पायलट ने गामा सिंह को जमीन विवाद को सेटल करने के लिए कानपुर बुलाया और उनकी हत्या कर दी गयी ।
गाँव मे खबर आई कि 84 के सिख दंगे की आग उसी दिन कानपुर में भी लग गयी जिस दिन गामा, कानपुर स्टेशन पहुचे । दंगाइयों ने गामा सिंह की मजबूत कद काठी और लंबे बाल देखकर उनको सिख समझ लिया और  बॉडी पे टायर डाल के उनको भी जिंदा ही फूंक दिया गया ।
टाटा और पायलट का वनवास पूरा हुआ और रघुवीर यादव ने उन्हें गाँव में पूरे सम्मान के साथ घर वापसी कराई । पंचायत चुनाव में ब्रेजेश ने अपने बड़े भाई अभीप्रताप को रघुवीर यादव के विरूद्ध खड़ा किया तो रघुवीर यादव के गुर्गों ने अभिप्रताप पे गोलियां चलवा दी और अभिप्रताप जीवन भर के लिए अपंग हो गए ।
ब्रेजेश को परिवार समेत रातोरात जान बचा के सारनाथ आना पड़ा। इधर यूनिवर्सिटी चुनाव में मैथिली राय ने रमन सिंह के साथ मिलकर ब्रेजेश का चुनावप्रचार सिर्फ कन्वोकेशन सेंटर तक सीमित करा दिया और ब्रेजेश चुनाव हार गया। त्रिभुवन राय, मैथली राय का चचेरा बड़ा भाई है उसे रमन और मैथली की बढ़ती नजदिकियां पसंद नहीं है क्योंकि उसे रमन के दोहरे चरित्र के बारे में पता है ।
आगे की कथा में रमन सिंह के बहकावे में आकर मैथली घर छोड़ कर भाग गई और भोपाल में रमन सिंह के साथ रहने लगी ।
कोल माफ़िया शिवपाल और उसके भाई साधु उर्फ सत्तू को रमन के हवाले से पता था कि, मैथली के पिता राधारमण राय के पास काफी जमीनें है ।
शिवपाल के साथ रमन सिंह के पारिवारिक रिश्ते थे और उनके इशारे पे ही रमन को भोपाल में ठिकाना मिला और यूनियन कार्बाइन कंपनी में कोयला आपूर्ति का ठेका उसे "पायलट" की मदद से मिल गया l पायलट और रमन दोनो पार्टनर बन गए ।
इधर मैथली को जल्द ही ये समझ आ जाता है कि रमन सिंह ने उससे शादी सिर्फ जमीन हथियाने के लिये की है । रमन ने मैथली के जाली सिग्नेचर बना के कोर्ट में उंसके पिता राधारमण राय के खिलाफ सम्पति बटवारे का मुकदमा ठोक दिया है ।
फर्जी कागजात दिखा के रमन, शिवपाल और साधु ने राधारमण राय के कई प्लाट को बेच देते है । राधारमण राय लोकलाज के डर से विरोध नही करते क्योंकि उन्हें यही लगता है ये सब मैथली के इशारे पे हो रहा है । राधा रमण के विरोध न करने से रमन और साधु का मन बढ़ जाता है और राधारमण की बाकी बची जमीन पे भी अवैध तरीके से कब्जा करने की कोशिश करते है ।
अबकी त्रिभुवन सिंह और राधारमण आरपार के मूड में है और मैथली की हत्या करने के लिए ब्रेजेश  को उकसा देते है और बदले में 10 हजार  रुपये भी देते है । ब्रेजेश भी मैथली से बदला चाहता है । वह अभिप्रताप को 10,000 रूपय देकर बिना बताए घर से लापता हो जाता है और नए नाम से भोपाल के यूनियन कार्बाइन प्लांट में मजदूरी करने लगता है । यही उसकी मुलाकात रमन  के खास गुर्गे "हैंडल"  से होती है जिसको अपने साथ मिलाकर वह रमन के घर की रेकी शुरू करता है ।
अभीप्रताप ब्रेजेश की दिए पैसों से - अलका ब्रांड की साइकिल की दुकान खोल लेते है और घर की आर्थिक स्थिति सुधरती है ।
मैथली रमन सिंह को पुलिस में जाने की धमकी देती है और उसे खूब हड़काती है लेकिन रमन उसकी एक नहीं सुनता उल्टे उसे जान से मार देने की धमकी देता है।
दारू के नशे पे पायलट, रमन से बताता है कि कैसे उसने सिख दंगो की आड़ में ब्रेजेश के पिता की हत्या की थी और उसी तर्ज पे वह रमन को मैथली की भी हत्या करके उसे दुर्घटना का रूप देने को बोलता है। ये बात मैथली सुन लेती है ।
एक दिन अचानक जब मैथली अकेली रहती है तो ब्रेजेश धमक जाता है । ब्रेजेश कत्ल करने जा ही रहा था कि मैथली उसके पिता की मौत का राज बता देती है । ब्रेजेश अपने पिता के कातिलों का हत्यारा बनने को तैयार है ।  मैथली उसकी जान बख्श देने और पायलट के साथ रमन को मारने को बोलती है जिसकी एवज में वह उसे 50 हजार रुपये देने की पेशकश करती है ।
रमन सिंह और पायलट अक्सर यूनियन कार्बाइन में  आते जाते रहते है और एक दिन जब दोनो प्लांट से पैसे का लेनदेन कर वापस आ रहे होते है तो प्लांट में ज़हरीली गैस का रिसाव हो जाता है ।
ब्रेजेश को मौका मिलता है रमन और पायलट से बदला लेने का । ब्रेजेश रमन और पायलट सिंह की हत्या कर उन्हें यूनियन कार्बाइन के कचरे वाले डंप ज़ोन में छोड़ देता है। गैस के रिसाव से रामअवध और पंचदेव की पूरी बॉडी खत्म हो जाती है सिर्फ खोपड़ी के अवशेष से उनकी शिनाख्त होती है। सबको यही लगता है कि रमन और पायलट की मौत जहरीली गैस से हुई है ।
टाटा सिंह पायलट की खोपड़ी का दाह संस्कार करने जाता है तो वहाँ पहले से मौजूद ब्रेजेश सिंह टाटा को भी मौत के घाट उतार कर अपने पिता का बदला लेता है और अंडरग्राउंड हो जाता है ।
वरुणापार हत्याकांड
इधर वरुणापार गाँव मे ग्राम प्रधान रघुवीर यादव की गांड चोख ले ली है । उसे पता है कि अब अगला नंबर उसका है । अभी वह कुछ कर भी पता कि ब्रेजेश रघुवीर यादव समेत परिवार के 8 लोगो की नृशंश हत्या करता है जिसमे 2 नाबालिक भी होते है।
हत्या के बाद ब्रेजेश अलका ब्रांड साइकिल से भाग ही रहा होता है कि नाके पे चौकसी कर रही पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है जो आजकल साइकिल चोरों को पकड़ने के लिए दबिश दे रही है ।
पुलिस पहले तो लंकेश को साइकिल चोर समझ के उसकी बमचिक तोड़ाई करती है बाद में साइकिल जब्त करती है । पुलिस कस्टडी में ब्रेजेश की मुलाकात  विश्वास नेपाली से होती है जो तमंचा दिखाने में अंदर हुआ है । पुलिस को  वायरलेस पे वरुणापार में हुवे नरसंघार की खबर मिलती है । वह ब्रजेश से 50 रुपये की घुस लेकर उसके साथ साथ विश्वास नेपाली को भी छोड़ देती है । पुलिस वाले अपनी जीप से वरुणापार निकल जाते है बिना ये समझे कि उस हत्या कांड को करने वाला ब्रेजेश ही है । FREEZE

HISTORYSHEETER SEASONE 2

"अपराध एक ऐसा दलदल है जिसमें एक बार घुसने के बाद कई बार ख़ुद को ज़िंदा रखने के लिए अपराधी नए अपराध करता चला जाता है."
साल 1986,अभिनेत्री रीना कोईराला का बचपना बनारस की पटिया दार गलियों में ही बीता । नेपाल में  मॉवोवादी नेता प्रचंड की दखलंदाजी से राजशाही मुह में ले रही थी और राजनीति, भारत बनाम चाइना के साथ भी थ्रीसम करने को मचल रही थी । इसी राजनीतिक उठापठक में पूर्व प्रधानमंत्री बिसेन कोइराला और उनकी बेटी रीना कोइराला (62) को रॉ (RAW) वालो ने राजनीतिक शरण के बहाने परिवार समेत बनारस लाकर टांग दिया ।
रीना कोइराला बनारस की ब्रह्मांड सुंदरी थी .  जब बनारस भांग के नशे पे बुत था तो वह 16 वर्षीय अल्हड़ बियर पीती थी और फ्रेडी मर्करी का गीत बनारस की बेलगाम गलियों में गाती रहती ।  "we are the champion my friends we will flight till the end"
लेकिन बनारस का मिज़ाज बदल रहा था, बालक गांड धोना बाद में, तमंचा दिखा के गांड मारना पहले सीख रहे है। इन्ही लौंडे में एक है महा भोसड़ी विश्वास नेपाली (18)  । विश्वास नेपाली कालांतर में अभिनेत्री रीना कोइराला के घर में नौकर था । विश्वास नेपाली, रीना का हम उम्र था, बियर खरीदने और कुल्हड़ में रीना को बियर पिलाते पिलाते उसे रीना से प्यार हुआ लेकिन रीना को बनारस से नहीं बंबई से प्यार था । वो चली गयी इस वादे के साथ की बनारस आकर विश्वास नेपाली से मिलती रहेगी ।
विश्वास नेपाली की बहन सप्तसागर दवा मंडी में मज़दूरी करती थी और एक दिन मजदूरी ना मिलने से वह गोदाम में ही दवा का बंडल चबा के हमेशा के लिए चीर निद्रा में सो गयी या फिर उसे सुला दिया गया । बाकी मजदूरों का कहना था कि निर्मल सेठ की बुरी नजर नेपाली की बहन पे थी अक्सर उसे नशे के इंजेक्शन दिया करता था । जब विश्वासनेपाली ने बहन का बदला लेने के लिए दवा कारोबारी निर्मल सेठ (40) पे तमंचा सटाया तो पुलिस वाले उसे ससुराल उठा ले गए। कारोबारी निर्मल माफिया हरिशंकर तिवारी का करीबी था।
माफिया हरिशंकर तिवारी (58)जरायम इंडस्ट्री के प्रथम सीइओ थे । 1985 में हरिशंकर तिवारी  ने जेल की दीवारों के भीतर से चुनाव जीता और भारतीय राजनीति में 'अपराध' के सीधे प्रवेश का दरवाज़ा खोल दिया.
ब्रेजेश जिस रात सिकरौरा हत्याकांड कर के पुलिस के हत्थे चढ़ा था उसी दिन विश्वास भी तमंचा सटाने के मामले में पकड़ में आया था । ब्रेजेश और विश्वास की गांड पे पुलिस वालों ने तबतक सोटा चलाया जबतक की गांड की पहली परत ना उधड़ गयी लेकिन विश्वासनेपाली मज़े से  "we are the champion my friends we will flight till the end" गीत को रीना की याद में गाता रहा ।
ब्रेजेश को गीत के कुछ शब्द जब समझ आये तो उसकी आखों से टेसू टपक पड़े। ब्रेजेश भी नेपाली के साथ गीत बुदबुदाने लगा और जब वरुणा पार हत्याकांड की खबर पुलिस को लगी तो ब्रेजेश के 50 रुपये की घुस से नेपाली भी फरार हो गया ।  आज विश्वास नेपाली ब्रेजेश का मोस्ट वांटेड शूटर है और ब्रेजेश के गैंग में नए लड़कों को भर्ती करता है ।
यूपी कालेज और पुलिस भर्ती में छटा गए रंगरूट लौंडे रीबॉक का जूता, रेबिन का चश्मा, लेदर जैकेट और बुलेट के नाम पे जरायम की दुनिया से जुड़ गए । आगे चलकर ब्रेजेश के ये नए गुर्गे इतने हरामी निकले की पुलिस को झाट का बाल समझते और किसी को भी राह चलते निपटा देते ।  
त्रिभुवन राय का भाई शिवेन्द्र राणा (27) आई पी एस हो गया । इलाहाबाद में पोस्टेड हुआ तो अक्सर शिवपाल और साधु गैंग के कई अवैध ट्रक पकड़े जाने लगे ।
हरिशंकर तिवारी का राइट हैंड साहिब सिंह (36) को राधारमण राय ने अपना नमक चटवा दिया । साहिब सिंह ने गोरखपुर में तूती बोलती थी । चुल्लु पार सीट जो हरिशंकर तिवारी की बपौती सीट थी इस बार चुनाव में राधारमण राय ने साहिब सिंह की मदद से उस सीट से अपनी दावेदारी ठोक दी ।
ब्रेजेश को जब त्रिभुवन और साहिब सिंह का साथ मिला तो उसकी हिम्मत ऐसी गरमाई की जबरन रेशम, शराब के टेंडर हासिल करने लगा और किसी भी सरकारी और विवादित जमीन पे सबसे पहला कब्जा और बोर्ड उसी का लगने लगा ।
रेता, बालू के अवैध खनन, PWD और रेलवे स्क्रेब के ठेकों पे अंसारी बंधुओ (अफज़ल*38 मुख़्तार*24) का बोल बाला था । जब ब्रेजेश और त्रिभुवन ने मुख्तार अंसारी के साम्राज्य में भी बास डालना शुरू किया तो हरिशंकर तिवारी की गोद मे मुख्तार ने अपनी गन रख दी । उन्होंने ने शिवपाल और साधु गैंग को मुख्तार को तैयार करने को बोला ।
दोनो तरफ से गोलियां चली लेकिन ब्रेजेश के नये लौंडो ने अपने रीबॉक के जूते से साधु और मुख्तार गैंग के गुर्गों को खूनिया दिया ।
इस बीच "शिवपाल का भाई साधु त्रिभुवन के भाई शिवेन्द्र राणा के हत्थे चढ़ गया जो आईपीएस था  । साधु की कद काठी ढीली कर दी गयी। साधु 6 महीने बाद जेल से सिफलिश की बीमारी ले के आया / इस बात की भी अपनी एतिहासिक गुंडई है । ये बीमारी अमेरिकन्स द्वितीय विषयुद्ध से लौटने के बाद लाये थे । जिसके बाद ही जेल प्रशासन जागा और ये खबर पुख्ता हुई कि नैनी जेल में ब्रेजेश के गुर्गों ने सेक्स बुझाने के लिए साधु की ही गांड मार ली।"
पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवा मंडी सप्तसागर में हर रोज लाखों का धन्धा होता था । जिसका कमिसन सीधा हरिशंकर तिवारी के खाते में जाता लेकिन विश्वास नेपाली ने ब्रेजेश के कहने पे सप्तसागर मंडी मे एके 47 से ऐसी खूनी दीवाली मनाई की बनारस में खून के चिराग़ जल उठे । विश्वास नेपाली ने निर्मल सेठ के शरीर में 80 छेद किये जाने से पहले उससे इतनी बार मूठ मरवाया कि आखिर में वीर्य की जगह खून आने लगा । अब व्यापारियों में ब्रेजेश का खौफ इतना है कि चित्रहार खत्म होने से पहले ही रंगदारी की रकम ब्रेजेश के अहाते में तौल दी जाती ।
बोफोर्स तोप खरीदने के चक्कर मे प्रधानमंत्री राजीव गांधी बिक गए और सरकार गिर गयी । फिर देश मे राजा नहीं फ़क़ीर आया । नए प्रधानमंत्री वीपी सिंह पिछड़ो के लिए आरक्षण माँ की पेट से लाये तो आरक्षण के मुद्दे पे अगड़ी और पिछड़ी जातियों के हजारों स्टूडेंट्स पेलम पाल करने आमने सामने आ गए  ।मंडल के हड़कम में हरिशंकर तिवारी, शिवपाल, साधु और मुख्तार बंधुओं को अपने विरोधियों पे हमला करने मौका दे दिया ।
जेल से निकलते ही साधु ने मुख्तार के साथ मिलकर त्रिभुवन के भाई शिवेंद्र राणा को पुलिसिया लाइन में दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया और दूसरे दिन गांडीव में खबर आयी कि मंडल कमीशन का विरोध कर रहे और उसका समर्थन कर रहे छात्रों की बीच हुई हिंसा में आईपीएस शिवेन्द्र राणा की मौत ।  त्रिभुवन और ब्रेजेश अभी कुछ कर ही पाते कि गोरखपुर की एक रैली में राधारमण की कार को भड़की भीड़ ने फूक दिया और राधारमण खाक हो गए ।
अब बारी ब्रेजेश की है - ब्रेजेश के गुर्गों के आगे पूरा प्रशासन हग देता है साधु के चक्कर में बनारस के कुछ ऐसे नामचीन लोग निपट जाते है जिनका सिर्फ साधु से नाम भर का याराना था । श्मशान में साधु के गुर्गों की लाशें भर भर के आ रही है और जलाने को लकड़ियां कम पड़ जाती है । राज्य सरकार आनन फ़ानन में गुंडा एक्ट लाती है और ब्रेजेश की धड़पकड़ शुरू होती है । मूक दर्शक बनी पुलिस मैदान में उतरती है तो हरिशंकर तिवारी साधु को पुलिस के सामने सरेंडर करा देते है क्योंकि खतरा साधु पे सबसे ज्यादा था और बाहर से ज्यादा साधु जेल में सुरक्षित था ।
साधु के पकड़े जाने के बाद मामला कुछ दिनों के लिए शांत रहता है  । त्रिभुवन मैथली की शादी ब्रेजेश से करा अपनी दोस्ती और बिज़नेस को पुख्ता करना चाहता है वही मैथली हरिशंकर तिवारी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहती है । त्रिभुवन मैथली को बताता है कि  ब्रेजेश से शादी होने के बाद अगर वो हरिशंकर तिवारी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ेगी तो ठाकुर और भूमिहार एक हो जायेगे और शिवशंकर तिवारी की चुनाव हार जाएगा  ।
इधर जेल में साधु की मुलाकात मैथली के पूर्व पति रमन के भाई बीकेडी(22)  से होती है । बीकेडी को हैंडल ने बताया था कि उसके भाई को मरवाने में मैथली और ब्रेजेश का हाथ है । तबसे वह जेल में रह कर हत्या करने वाले हरामियों की भर्ती कर रहा है और  ब्रेजेश और मैथली को मारने का मौका ढूंढ रहा है ।
उसे मौका देता है साधु । शिवपाल की मदद से बीकेडी ब्रेजेश की शादी में पहुचता है और मैथली पे गोली चला देता है । त्रिभुवन के बीच मे आ जाने से  गोली उसे लग जाती है । त्रिभुवन काफी वक्त के लिए कोमा में चला जाता है, ब्रेजेश को छुपना पड़ता है और चुनाव में मैथली राय की जमानत जब्त हो जाती है ।
मैथली को चुनाव में हराकर हरिशंकर तिवारी फिर से विधायक बनते है और बनारस से मुख्तार का भाई अफ़ज़ल अंसारी चुनाव जीत जाता है । राजनीति सर् परस्ती में मुख़्तार गैंग और पुलिस ब्रेजेश गैंग पे हावी होती है । राजनीतिक दबाव में  हैंडल को सरकारी गवाह बना के ब्रेजेश के खिलाफ रमन, पायलट,टाटा, की हत्या और वरुणा पार हत्याकांड की चार्टशीट दाखिल की जाती है । मैथली और ब्रेजेश को अंडरग्राउंड होना पड़ता है और गैंग की कमान अब साहिब सिंह के हाथ में है । इस बात से विश्वास नेपाली नाराज है क्योंकि की उसकी साहिब सिंह से नहीं जमती ।
ठाकुर(32) बम्बई के सबसे बड़े भइया गैंग का लीडर है और रीना कोइराला की पहली फ़िल्म के सुपरहिट होने के बाद मनीषा से एक्सट्रोसन मनी मांगता है और ना देने पे जान से मारने की धमकी देता है । उसकी बात को रीना कोइराला का मैनेजर संजीव अग्रवाल अनसुना कर देता है ।
ठाकुर ही तस्करी की हुई घड़ियां, जैकेट ,चश्मे और रीबॉक के जूते ब्रेजेश को सप्लाई करता था । फ़िल्म हिट हो जाने के बाद रीना कोइराला बनारस आती है । ठाकुर (32) बनारस में ही रीना कोइराला को टपकाने के लिए ब्रेजेश से मदद लेता है जिसके बदले वह ब्रेजेश को मुबई में छिपाने की डील करता है ।
बनारस में एक समारोह के दौरान में रीना कोइराला बम्बई से आती है जहाँ ब्रेजेश के कहने पे साहिब सिंह रीना पे गोलियां चलाता है जिसमे मैनेजर संजीव अग्रवाल मारा जाता है और बिना किसी लाग लपेट के रीना, ठाकुर को पैसे दे देती है । लेकिन जब ये बात विश्वास नेपाली को पता चलती है कि रीना पे गोलिया ब्रेजेश ने चलवाई तो वह ब्रेजेश की खिलाफ हो जाता है और मुख़्तार के राइट हैंड बजरंगी (20) के साथ मिलकर ब्रेजेश के कई गुर्गों को मार देता है । साहिब सिंह की हत्या होते ही, बनारस में ब्रेजेश की लंका लग जाती है और उसे जान बचा के बम्बई भागना पड़ता है । मुख़्तार अंसारी और विश्वास नेपाली बनारस में ये ख़बर फैलाने में कामयाब होते है कि गैंग वॉर में साहिब सिंह के साथ ब्रेजेश भी मारा गया ।
Season 3 Highlights
Brijesh singh with thousand faces
त्रिभुवन को होश आता है और वह ब्रेजेश से सम्पर्क करता है । साधु की पत्नी को लड़का होने वाला है उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया जाता है अपने लड़के को देखने के लिए जेल से साधु हॉस्पिटल पहुचता है और यही पुलिस के भेष में पहले से बैठा ब्रेजेश उसकी हत्या करता है.
त्रिभुवन सिंह शिवपाल समेत पूरी गैंग को मौत के घाट उतार देता है ।
विश्वास नेपाली नेपाल भाग जाता है । मुख़्तार अंसारी और हरिशंकर तिवारी की गांड चोक ले ली है।
उनके कहने पे पुलिस कस्टडी में हैंडल गवाही देने कचहरी जाता है जहाँ  साहिब सिंह का बेटा अजय खलनायक उसपे गोलियां चलाता  है ।
हैंडल मजिस्ट्रेट के केबिन में जान बचा ने के लिए घुस जाता है जहाँ पहले से मौजूद ब्रेजेश उसकी हत्या कर मजिस्ट्रेट के भेष में कचहरी से निकल जाता है ।
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Friday, May 10, 2019

बचपन

ARTICLE - YOGA FOR THE KIDS
LANGUAGE - HINDI+ENGLISH
WRITER - SMRIT SINGH
Smritsingh1@gmail.com
831705376

"उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते"
बशीर बद्र साहब की नज़्म अब जख्म सी लगती है क्योंकि आजकल के बच्चे कुछ ऐसे नज़र आते है ।
"चुप-चाप बैठे रहते हैं कुछ बोलते नहीं
बच्चे बिगड़ गए हैं बहुत देख-भाल से"
मोटापे का हाई अलर्ट
चर्चा में आई एक रिसर्च रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि आत्म विश्वास में कमी के कारण 19 प्रतिशत मोटे बच्चे उदास महसूस करते हैं, 48 प्रतिशत उबाऊ महसूस करते हैं और 21 प्रतिशत नर्वस महसूस करते हैं।
आजकल, बच्चे उन बीमारियों के चपेट में आ रहे है जो फिलहाल के लिए उनसे कोसो दूर होनी चाहिए । हमारे आखों के तारे जिनकी आखों में हजारों सपने तैरने चाहिए, उनकी बेजुबान हक़ीक़त ये है कि, मोटापे, अधिरता, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग, निद्रा रोग जैसी गम्भीर बीमारियां उनके जीवन की हमजोली और अस्तिव का हिस्सा बनती जा रही है ।
आज की फ़ास्ट मूविंग लाइफ में बच्चे सिर्फ मोबाइल, टेबलेट की वर्चुअल दुनिया मे ही सुपर किड्स बन के रह गए है । अब इस वर्चुअल तिलिस्म से परे हट कर रियल लाइफ की बात करने का समय है । आपको ये बात अटपटी लग सकती है लेकिन बात की इंटेंसिटी को समझे  ।
ऊपर बताई गई बीमारियां आगे चलकर एनोरेक्सिया, बुलिमिया, त्वचा में संक्रमण और अस्थमा, श्वसन से सम्बंधित समस्याओं में बदल सकती है । आपको हैरानी होगी कि मोटापे से पीड़ित बच्चों में कैरोटिड धमनियां समय से पहले इतनी विकसित हो जाती हैं जितनी कि तीस वर्ष की उम्र में विकसित होनी चाहिए,
इसीलिए ये जरूरी हो जाता है कि टीवी सेट या वीडियो गेम से चिपके बच्चों को रियलटाइम एक्टिविटी में इन्वॉल्व किया जाए । अब समय आ गया है कि, हम और हमारे बच्चे खुद को फिट और फाइन रखने के लिए मानव स्वास्थ्य की परंपरागत योग-विशेषताओ को फिर से जाने जिसे हमने हार्डकोर टफ लाइफ में कही भुला दिया है ।
बच्चों को दीजिए योग- टॉनिक
बालमन हमेशा ही अपने मन के भीतर बहुत सी दुःखद अनुभूतियों को दबा लेता है और अंदर ही अंदर कई लड़ाईया लड़ता रहता है । योग, बालमन की उथल पुथल को बैलेंस करता और बच्चे को आंतरिक रूप से सबल बनाता है ।
योग से बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और बालमन में पानी सा बहाव और ठहराव रहता है । इसके अतिरिक्त योगासन से मौसमी बीमारियों छूमंतर रहती है और बच्चें डिप्रेशन जैसी समस्याओं से बचते है ।
कैसे करे किड्स फ़ॉर योगा की शुरुआत
टारगेट एंड अचीवमेंट का थमरुल सेट करे और बच्चे को कुछ बेसिक योगा टिप दे ।
हेल्थी योगा-जैम टिप
बच्चों को अपने साथ टहलने के लिए ले जाएं
सूर्य नमस्कार के साथ शुरुआत करे
योगा मैट पे कमर सीधी करके बैठने को बोले
सीक की तरह सीधा खड़ा करें
लंबी सांस लेना सिखाए
साउंड, रिदम, उच्चारण की प्रैक्टिस कराए जैसे ओम की ध्वनि,
हफ्ते में 5 दिन योग के लिए बच्चे को समय दे
रिलैक्स करवाने के लिए श्वासन कराए ।
योग के समय ध्यान रखने योग्य बाते
जटिल योगाभ्यास ना कराए ।
योग से पहले बच्चा खाली पेट हो।
योग प्रैक्टिस में हड़बड़ी ना करे बच्चे को हर दिन सीखने समझने का समय दे ।
एंटरटेन योगा
बोरियत से बचने के लिए लाइट म्यूजिक, ट्रांस म्यूसिक जैसे बासुरी की धुन, पंछियों के चहकना, या कुछ बैक ग्राउंड स्कोर के ट्रैक बजाए । आंखें बंद करके सांस लें और कानों में उंगली डालकर ङ्गहम्मम की आवाज़ से सांस छोड़ें ।
किड्स फ्रेंडली टॉप टेन योगासन
वेक एंड स्ट्रेच
डाउन डॉग- अधो मुख स्वानासन
प्राणायाम
हमिंग बी- ब्राह्मरी
टीज़ अप- शितकारी शीतली प्राणायाम
टीपॉट पोज़- नटराजासन
रॉक एंड रोल
स्टार पोज़- उत्थिट ताड़ासन
बो पोज़- धनुरासन
स्नेक पोज़
सभी योगासन की जानकारी आप आसानी से यूट्यूब पे सर्च कर सकते है साथ ही योग से संबंधित कई किताबें मार्केट पे उपलब्ध है । इसके अतिरिक्त आप किसी योगा टीचर की भी मदद ले सकते है ।
लिटल चैम्प को बताए योगा के सुपरकूल फायदे
शार्प माइंड,
सांसों की माला को बेहतर बनाता है।
थकान भी दूर करता है ।
फ़ोकस बढ़ता है।
वोकल कॉर्ड्स को मज़बूत बनाता है।
नींद की कमी को दूर भगाता है ।
बॉडी टिश्यूज़ को हील करता है ।
ब्लड प्यूरिफाई होता है ।
हाथ, पैर, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी, सीना आदि मज़बूत होते हैं.
नर्वस सिस्टम को बेहतर करता है ।
बी पोसिटिव एंड बी अलर्ट
अक्सर बच्चे जंक फूड जैसे पिज़ा, बर्गर, को ललचाई नजरो से देखते है । जंक फूड में भूख बढ़ाने वाली स्मैल(महक) होती है, और कई बार बच्चे इस स्मैल की वजह से भी जंक फूड खाने के आदि हो जाते है ।
दो साल या इससे अधिक उम्र के बच्चों के पेरेंट्स, बच्चे का बॉडी मास इंडेक्स (BMI )(शरीर भार सूचकांक) लगातार चेक कराए ।
परवाह के साथ इस बात का ध्यान दे कि मोटे बच्चों को अक्सर उनके साथी और परिवार के लोग चिढ़ाते हैं । मोटू, फैट मैन, थुलथुल, बोजम जैसे शब्दों से बच्चे के सेल्फकॉन्फिडेंस में कमी आती है और वह अवसाद से भी ग्रस्त हो सकते हैं।
टीवी, मोबाइल, वीडियोगेम से पहले बच्चों को आकाश और आंगन दे। जो बच्चे नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां नहीं करते, उनमें मोटापे की समस्या ज्यादा होती है । योग से आप अपने बच्चे को एक बेहतर स्वास्थ्य और मन-दिमाग दे सकते है । आपका बच्चा अगर शारीरिक और मानसिक रूप से हेल्थी होगा तभी वो हसरतों की उड़ान भर सकेगा ।

Hero have no luck

STORY - THE HEROES HAVE NO LUCK
WRITER - SMRIT SINGH
E-Mail - smritsingh1@gmail.com

Premise - The heroes have no luck

Log line - भारत के ऐसे गुमनाम धर्मनिरपेक्ष क्रांतिकारी योद्धाओं की कहानी जिनकी योजना सफल होती तो भारत का स्वतंत्रता दिवस 21 फरवरी 1915 होता ।

SEASONE - ONE

Episode 1905- में बंगाल का विभाजन हो गया । मुस्लिम बहुल इलाके को अलग करके अंग्रेज सरकार फुट डालो राज करो कि नीति की शुरुआत करती है । भूमिगत क्रांतिकारी संगठन "वंदे मातरम" इस बात से बेहद नाराज है और कुछ विस्फोटक करना चाहता है । ब्रिटिश सरकार क्रांतिकारी गतिविधियों पे नजर रखने के लिए सीआईडी का गठन करती है ।

Episode 2सीआईडी की टीम लोकल सपोर्ट से कई क्रन्तिकारियो को पकड़वा देती है । मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड ने क्रन्तिकारियो को बहुत कठोर सजाए सुनाई । बहुत से क्रांतिकारियों को बंगाल से भाग कर बनारस (वाराणसी) में शरण लेनी पड़ती है ।
Episode 3बंगाल के क्रांतिकारी बाघा यतिन (25 ) देहरादून फारेस्ट डिपार्टमेंट में काम कर रहे रासबिहारी (22) बोस से संपर्क करते है । उसे बनारस में संगठन की कमान सम्हालने को बोलते है । रास बिहारी एक क्रांतिकारी है जो क्रुड बम बनाने में माहिर है । वो एक बम बाघा यतिन को देते है किंग्सफोर्ड की हत्या करने के लिए ।
Episode 4बंगाल क्रांति की कमान अब बाघा यतिन के हाथ मे है । वह हथियार बनाने वाली राडा कम्पनी के हथियारों की पूरी खेप को रातों रात गायब करवा देता है । पूरे ब्रिटिश हुकूमत में हड़कम मच जाता है । अभी ब्रिटिश पुलिस इस डैकती को सुलझा पाती की बाघा यतिन के खास साथी खुदीराम बोस(18) और प्रफुल्ल चाकी (19)  किंग्सफोर्ड की बग्घी पे बम फेंकते है । किंग्सफोर्ड बच जाता है लेकिन उंसके अंदर ऐसा डर समा जाता है कि कुछ ही दिनों में उसकी मौत हार्ट अटैक से हो जाती है ।
Episode 5 इसी तर्ज पे लाहौर का एक क्रांतिकारी अवध बावरा (17) ग़दर पार्टी के क्रन्तिकारी नेता लाला हरदयाल (30)  के सम्पर्क में आता है और लारेंस गार्डन में अंग्रेज अधिकारी डेविड सिग्लर पे बम फेंकता है जिसमे सिग्लर की मौत हो जाती है । सीआईडी टीम मुखबिर की मदत से अवध बावरा की खोज में कलकत्ता के लिए निकलती है।
Episode - 6इधर एक खबरी के माध्यम से पुलिस को प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम का पता  चल जाता है । पुलिस से घिरा चाकी खुद को गोली मार लेता है और खुदीराम को पकड़ लिया जाता है । उपनिरीक्षक एनएन बनर्जी ने "चाकी" का सिर काट कर उसे सबूत के तौर पर मुजफ्फरपुर की अदालत में पेश किया। यह अंग्रेज शासन की जघन्यतम घटना थी । खुदीराम को फाँसी दे दी जाती है ।
Episode 7 वाराणसी, सचिन सान्याल (19) की मुलाकात बंगाल से बनारस आये  क्रांतिकारीयो होती है जिनकी कमान रासबिहारी बोस के हाथ में है । सचिन सान्याल रास बिहारी के कहने पे संगठन का प्रचार करने लाहौर जाता है जहाँ उसकी मुलाकात नेशनल स्कूल में पढ़ने वाले लड़के भगवती वोहरा(16) जयचन्द्र विद्यालंकार (17) से होती है ।
Episode 8 लॉरेंस बम धमाके के मास्टरमाइंड लाला हरदयाल को देश निकाला हो जाता है और वो अमेरिका चले जाते है । अवध भूमिगत होकर कलकत्ता से दिल्ली के मास्टर अमीरचंद (24) के पास चला जाता है जो खुद एक क्रांतिकारी नेता है और लाला हरदयाल के चले जाने के बाद संगठन की जिम्मेदारी सम्हाल रहे है ।
Episode 9 बंगाल में जर्मनी के राजा आते है जहाँ बाघा यतिन उनसे मिलता है । राजा, बाघा यतिन को जर्मनी से हथियार और गोला बारूद बहुत कम कीमत में देने का वादा करते है । जर्मन से हथियार लेने के लिए पैसों की जरूरत है । बंगाल में 200 ब्रिटिश अफसरों की मौत और 500 डकैतिया का ऐसा सिलसिला शुरू होता है कि वायसराय लार्ड हार्डिंग को भी अपनी जान का खतरा हो जाता है । 1911-12 में ब्रिटिश इंडिया की राजधानी दिल्ली कर दी जाती है और लार्ड हार्डिंग दिल्ली रवाना हो जाता है ।FREEZ

SEASON 2 - Downfall

Episode 1 सीआईडी पुलिस को कलकत्ता में अवध बावरा के ठिकाने का पता चल जाता है और वह दिल्ली पुलिस को इसकी सूचना देते है । रासबिहारी बोस, मास्टर अमीरचंद, बसंत विश्वास, अवध बिहारी बालमुकुंद, सचिन सान्याल लार्ड हार्डिंग के काफिले को दिल्ली में बम से उड़ाने का प्लान बनाते है । बसंत लार्ड हार्डिंग के काफिले पे बम फेंकता है लेकिन लार्ड हार्डिंग किसी तरह बच जाता है ।
Episode 2 बसंत भाग कर बंगाल चला जाता है, रासबिहारी बोस और सचिन सान्याल, भगवती वोहरा की शादी में लाहौर चले जाते है बालमुकुंद (17) शाहजहांपुर में अपने एक मित्र राम प्रसाद बिस्मिल (15) के घर ठहरता है । अवध, अमीर चंद के साथ दिल्ली में ही रहता है ।
Episode 3 लॉरेंस गार्डन बम कांड में आरोपी अवध को खोज रही पुलिस को एक साथ दो सफलता हाथ लगती है । अमीरचंद के घर से अवध बिहारी पकड़ा जाता है और वहाँ मिले बम के खोको से ये बात भी साबित हो जाती है कि लार्ड हार्डिंग पे भी बम फेंकने वाले में भी इनका हाथ है । इसी को आधार बनाकर बसंत को भी बंगाल से गिरफ्तार किया जाता है तीनो को मौत की सजा होती है । रासबिहारी बोस, सान्याल, बाल मुकुंद फरार है ।
Episode 4 भगवती वोहरा (16) की शादी, दुर्गा देवी (13) से होती है । यही पहली बार रासबिहारी बोस और सान्याल की मुलाकात भगत सिंह (11) सुखदेव ( 11) से होती है जो भगवती के स्कूल के जूनियर है । शादी के दौरान ही रास बिहारी बोस को संदेश प्राप्त होता है कि अमेरिका कनाडा और दूसरे देशों में रह रहे 10,000 अप्रवासी भारतीय, लाला हरदयाल (30) और करतार सिंह (19) के आवाहन पे भारत को आजाद कराने के लिए आने वाले है ।
Episode 5 जर्मनी और इंग्लैंड की बीच जंग छिड़ चुकी है । ब्रिटिश भारतीय सैनिक युद्ध लड़ने देश से बाहर जा रहे है । मौके का फायदा उठाकर क्रन्तिकारियो ने तय किया कि 21 फरवरी 1915 को भारत की समस्त सैनिक रेजीमेंट में विद्रोह कराया जाएगा । ग़दर पार्टी के हथियार बंद 10000 क्रन्तिकारियो को लेकर करतार सिंह, रासबिहारी बोस और सचित्र सान्याल पंजाब और यूनाइटेड प्रोविंस को आजाद कराएंगे वही बंगाल का जिम्मा बाघा यतिन को दिया गया जो जर्मनी की मदत से हथियार बंद क्रांति करने वाले थे।
Episode 6 चेकरिपब्लिक का एक जासूस  इमेनुअल विक्टर वोस्का जो जर्मनी में था उसे इस पूरे प्लान की खबर हो जाती है की जर्मनी भारत के क्रांतिकारियों को हथियारों की मदद करने वाला है । विक्टर अमेरिका का भी डबल एजेंट है और ये खबर अमेरिका को मिली, अमेरिका से अंग्रेजों को मिली, इंगलैंड से खबर भारतीय अधिकारियों के पास आई और उड़ीसा का पूरा समुद्र तट सील कर दिया गया। एक मुठभेड़ में बाघा यतिन को मार दिया गया ।
Episode 6 इधर इस वारदात के बाद सीआईडी और पुलिस सतर्क हो गयी । सभी बंदरगाहों पे आ रहे भारतीयों को हिरासत में लिया गया। करतार सिंह सराभा और विष्णु गणेश पिंगले कोलकत्ता पहुचने में कामयाब हुवे और वहाँ से होते हुवे बनारस में रासबिहारी बोस के पास पहुचे ।
Episode 7 बहुत से क्रांतिकारियों के पकड़े जाने के बाद भी रास बिहारी बोस, करतार सिंह,सचिन सान्याल ने भारत के सैनिक रेजिमेंट में भारतीय सैनिकों को विरोध में साथ देने के लिए राजी करते रहे । इसके उलट एक गदद्दार करम सिंह के माध्यम से अंग्रेज अधिकारियों को सैनिक विद्रोह  की बात पता चल गई और सभी रेजिमेंट से हथियारों को गायब कर दिया गया ।
Episode 8 एक रेजीमेंट के रिसालदार गण्डा सिंह जो करतार सिंह का खास था उसने उन्हें धोखा दिया और पकड़वा दिया । 15 फरवरी को सैनिक रेजिमेंट में मामूली विद्रोह हुआ जिसे दबा दिया गया और देश द्रोह के आरोप का सिलसिला शुरू हुआ जो करतार सिंह और पिंगले की फांसी और करीब 300 लोगों के काले पानी की सजा पे खत्म हुआ । सघन अभियान चलाते हुए सीआईडी की टीम ने सचिन सान्याल को भी पकड़ लिया लेकिन रासबिहारी बोस एक बार फिर भागने में सफल हो गए और जापान चले गए । सान्याल  को काले पानी की सजा दी गई ।

SEASONE -3
The revolution demands blood and gives birth to heroes .

Episode 11915, यूनाइटेड प्रॉविंस  प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने पे एक अंग्रेज एंड्रूज जो दीनबंधु के नाम से प्रसिद्ध है उनकी पहल पे कई राजनीतिक कैदियों की रिहाई होती है और सचिन सान्याल भी रिहा होते है । सान्याल, बिस्मिल के साथ कई अन्य सदस्य भी गांधी के असहयोग आंदोलन होने तक किसी भी तरह की क्रांतिकारी गतिविधि ना करने का वचन देते है । अपने एक साथी बनारसीलाल के साथ मिलकर बिस्मिल कपड़े का बिज़नेस करने लगते है ।
Episode 2 गांधी के असहयोग आंदोलन के दौरान बिस्मिल की मुलाकात अशफाक और चंद्रशेखर आजाद से होती है ये सभी गांधी के आंदोलन में बढ़ चढ़ के हिस्सा लेते है लेकिन चौरा चौरी में ब्रिटिश सिपाहियों ने निहत्थे किसानों को मार दिया जिसके विरोध में गाँव वाले पुलिस थाने को जला देते है और गांधी जी आंदोलन वापस ले लेते है ।गांधी के इस कदम से रामप्रसाद बिस्मिल बहुत नाराज होते है और कांग्रेस के गया अधिवेशन में इस बात का खुले आम विरोध करते है । कांग्रेस से उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाती है ।
EPISODE 3 सचिन सान्याल कानपुर में भारत के सभी क्रन्तिकारियो की बैठक करते है और बिस्मिल के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन असोसिएशन का गठन होता है जहाँ चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, भगवती वोहरा, सुखदेव, मन्मथ गुप्ते बाल मुकुंद और कई नए साथियों को संगठन से जोड़ा जाता है ।बिस्मिल और सान्याल The revolutionary नाम से HRA का मेनोफेस्टो तैयार करते है जिसमे पहली बार राइट टू रिकॉल की बात की जाती है और जनता को ये अधिकार दिया जाता है कि अगर वह अपने प्रतिनिधियों के काम से संतुष्ट नहीं तो समय से पहले वोटिंग करा के उन्हें उनके पद से हटा सकती है ।
Episode 4  भगत सिंह को  घोषणा पत्र के प्रचार की जिम्मेदारी दी जाती है जिसमे उन्हें भगवती वोहरा की पत्नी दुर्गा का पूरा साथ मिलता है ।ब्रिटिश सरकार ने घोषणा पत्र पे प्रतिबंध लगा दिया और इसी घोषणा पत्र के साथ  बांकुरा में सचिन सान्याल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। दो साल जेल की सजा दी गई। उसके बाद बिस्मिल ने हथियारों की खरीदारी के लिए काकोरी ट्रेन डकैती की योजना बनाई ।
Episode 6 भगत सिंह के राजनीतिक गुरु जयचंद्र विद्यालंकार , जो खुद भी क्रांतिकारियों की जमात से जुड़े हुए थे, यह आरोप लगाया कि भगवती वोहरा सीआईडी के आदमी हैं और और उससे वेतन पाते हैं और उनकी ही वजह से सान्याल पकड़े गए । दुर्गा इस बात का खुले आम विरोध करती है और भगत सिंह जयचंद्र की बात ना सुनते हुवे दुर्गा का पूरा साथ देते है जिनसे दोनो के सम्बन्ध और मजबूत होते है।
Episode 7 रामप्रसाद बिस्मिल ट्रेन डकैती के लिए चंद्रशेखर समेत 10 लोगों की टीम गठित करते है। भगत को टीम में ना लेने के पीछे उन्हें भगवती वोहरा और दुर्गा की ये बात अच्छी लगती है कि भगत संगठन के थिंक टैंक है अगर ऑपरेशन फेल हुआ और क्रांतिकारी पकड़े गए तो संगठन को भगत सिंह लीड कर सकते है ।
Episode 8 अशफ़ाक़ ने अपने बड़े भाई रियासत उल्ला ख़ाँ की लाइसेंसी बन्दूक और दो पेटी कारतूस बिस्मिल को उपलब्ध कराये वही चन्द्रशेखर ने 4 माउजर गन का जुगाड़ किया ।  ट्रेन से सरकारी खजाने को लूट लिया गया । मन्मथनाथ गुप्त ने उत्सुकतावश माउजर का ट्रिगर दबा दिया जिससे छूटी गोली अहमद अली नाम के मुसाफिर को लग गयी। वह मौके पर ही ढेर हो गया। शीघ्रतावश चाँदी के सिक्कों व नोटों से भरे चमड़े के थैले चादरों में बाँधकर वहाँ से भागने में एक चादर वहीं छूट गई।
Episode 9 सीआईडी प्रमुख खान बहादुर तसद्दुक हुसैन ने पूरी छानबीन और तहकीकात शुरू की । चादर में लगे धोबी के निशान से पहला सुराग मिला। धोबियों से पूछने पर मालूम हुआ कि चादर बनारसीलाल की है। बिस्मिल के साझीदार बनारसीलाल से मिलकर पुलिस ने इस डकैती का सारा भेद ज्ञात कर लिया।  बिस्मिल के साथ अशफाक, राजेन्द्र लाहड़ी, रौशन सिंह को फाँसी और 5 लोगों को उम्रकैद की सजा हुई ।
Episode 10 चंद्रशेखर पुलिस की पकड़ से आजाद रहे । चंद्रशेखर ने दुर्गा, सुखदेव, राजगुरु भगवती, बटुकेश्वर दत्त और समूचे भारत के क्रन्तिकारियो के साथ फ़िरोजशाहकोटला मैदान में एक गुप्त बैठक की और भगत सिंह की के साथ एक नए  संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन की स्थापना की। साइमन कमीशन का विरोध कर रहे लाला लाजपत राय पे सांडर्स द्वारा लाठी चार्ज होता है जिसे उनकी मौत हो जाती है चन्द्रशेखर की अगुवाई में भगत सिंह सुखदेव, राजगुरु बटुकेश्वर दत्त सांडर्स की हत्या करने का फैसला कर लेते है । दुर्गा  का काम साथी क्रांतिकारियों के लिए राजस्थान से पिस्तौल लाना व ले जाना था । सांडर्स की हत्या कर दी जाती है ।
Episode 11 जब भगत सिंह और सुखदेव ब्रिटिश पुलिस अफसर जॉन सांडर्स को गोली मार कर आए तो दुर्गा देवी के घर रुके। उन्हें कोलकाता पहुंचाने का काम भी दुर्गा  ने किया था। पुलिस से बचाने के लिए दुर्गा देवी ने भगत सिंह का रूप रंग बदलवाया और खुद को उनकी पत्नी बता कर उन्हें कोलकाता ले गर्इं।
Episode 12 आठ अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने विधानसभा में बम फेंकने के बाद खुद ही गिरफ्तारी दे दी थी. उनका मक़सद था अदालत को मंच बनाकर अपने क्रांतिकारी विचारों का प्रसार करना.चंद्रशेखर आजाद को अलफ्रेंड पार्क में उनके ही साथी ने पुलिस से मुखबिरी कर दी और मुठभेड़ में आजाद मारे गए । भगत सिंह ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जेपी साण्डर्स की हत्या में भी शामिल थे तो उन पर और उनके दो साथियों राजगुरू और सुखदेव पर देशद्रोह के साथ-साथ हत्या का भी मुक़द्दमा चला। भगत सिंह के जेल जाते ही दुर्गा और भगवती ने लॉर्ड इरविन की ट्रेन पर बम फेंक दिया । भगवती वोहरा की भगत सिंह को जेल से छुड़ाने के लिए बम तैयार करते वक्त फटे बम से मौत हो गयी । अंत मे भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को फाँसी और दुर्गा और बटुकेश्वर दत्त को जेल हुई।

SEASONE 4 Finale

Episode 1 दिल्ली षड्यंत्र, अलीपुर बम ब्लास्ट, ग़दर आंदोलन के मास्टरमाइंड रास बिहारी बोस के बारे में एम आई 5 को पता चलता है कि रास बिहारी बोस नकली नाम से जापान में रह रहे है। रास बिहारी बोस ब्रिटिश ख़ुफ़िया एजेंसी एमआई 5 से बचने के लिए बार बार अपना ठिकाना बदल रहे है । एम आई 5 और अंग्रेज अधिकारी जापान सरकार के साथ मिलकर रासबिहारी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करा देते है । उनकी जानकारी देने वाले को 1 लाख पाउंड की घोषणा करते है।
Episode 2 दि ब्लैक ड्रैगन सोसायटी जापान में सबसे विकराल क्रांतिकारी ग्रुप था-जो ब्रिटिश लोगों से और उनकी साम्राज्यवाद नीतियों से नफरत करता है । रास बिहारी ड्रैगन सोसायटी के चीफ़ तोयामा मितसुरू से हाथ मिला लिया और मित सुरू रासबिहारी को  अपने ही एक साथी की बेकरी में छुपने की जगह देते है.एक ब्रिटिश शिप में बेकरी मालिक की बेटी सोमा साफ सफाई का काम करती है जो गुप्त रूप से ब्लैक ड्रेगन के लिए काम करती है जिसका मुख्य काम अंग्रजो की गतिविधियों पे नजर रखना है ।
Episode 3 रास बिहारी बोस को सोमा से पता चलता है कि ब्रिटिश शिप पर उनसे जुड़े कागजात रखे है जहाँ वह काम करती है। सोमा के साथ मिलकर रास बिहारी उस शिप में आग लगा देते है। उनसे जुड़े सभी कागजात भी जलकर खाक हो गए. जापान सरकार ने भी डिपोर्टेशन का ऑर्डर वापस ले लिया । रास बिहारी और सोमा को प्यार हो जाता है । रासबिहारी को जापानी नागरिकता मिल जाती है और दोनो शादी कर लेते है।
Episode 4 इसी बेकरी में रहने के दौरान रासबिहारी वहा के खानसामों को नाकामुराया इंडियन करी की रेसिपी बताई जो जापान के घर घर मे फेमस हो गयी । बाद में सोमा और रासबिहारी ने उसे पेटेंट कराया जो यूरोपियन करी के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय हुई ।
Episode 5 द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी और ब्रिटेन एक बार फिर आमने सामने है इस बार जापान जर्मनी के साथ है और तोयामा मितसुरू के कारण रास बिहारी ने जापान सरकार में भी अपनी पैठ बना ली है।1942 में जापान ने  सिंगापुर में ब्रिटिश आर्मी को धूल चटा दी और ब्रिटिश भारत पे कब्जा करने के उद्देश्य से रास बिहारी से सम्पर्क साधा ।ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विस्टन चर्चिल के नजर में ये ब्रिटिश अंपायर के इतिहास की सबसे बड़ी और अपमान जनक हार थी ।
Episode 6 सुभाष चन्द्र बोस जर्मनी और इटली से भारत को अंग्रजो के खिलाफ युद्ध मे साथ देने के लिए हिटलर और मुसेलनी को मनाने की जुगत में लगे हुवे है । जापानी - ब्रिटेन युद्ध मे लगभक 1 लाख ब्रिटिश फौजियों को बंदी बनाया गया जिसमें अधिकतर भारतीय थे ।रासबिहारी बोस ने इंडियन इंडिपेंडेंस लीग की स्थापना की और भारतीय सेना बनाने का प्रस्ताव रखा । जापान सेना के मंत्री और मेजर फुजीवारा आजाद हिंद फौज बनाने का मौसौदा तैयार करते है ।
Episode 7 युद्ध बंदी भारतीय सैनिकों की कमान कैप्टन मोहन सिंह को सौंपी गयी लेकिन मोहनसिंह और रासबिहारी में दरार आ गयी क्योंकि मोहन सिंह को लगता था कि रासबिहारी बोस भारतीयों से ज्यादा जापान सरकार के हितों का ध्यान रख रहे है । जापान सरकार ने मोहन सिंह को सेना प्रमुख से बर्खास्त कर दिया । रास बिहारी बोस फरवरी 1944 में फेफड़ों की बीमारी से गंभीर रूप से बीमार हो गए। मोहन सिंह के हटाये जाने के बाद भारतीय सेना में विद्रोह होने की प्रबल सम्भावना थी ।
Episode 8 रास बिहारी ने सीधे जर्मनी में रह रहे सुभाष चंद्र बोस से सम्पर्क साधा । सुभाष बाबू की लोकप्रियता उस समय अपने चरम पे थी । रासबिहारी ये जानते थे कि सुभाष बाबू ही एक ऐसे इंसान है जो आजाद हिंदी फौज की कमान सम्हाल सकते है और भारतीय सैनिकों को अंग्रजो के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित कर सकते है ।
Episode 9 सुभाषचंद्र के आते ही रासबिहारी ने आजाद हिंद फौज की कमान उन्हें सौप दी और फिर भारतीय और जापान सेना के संयुक्त अभियान ने अंग्रजो को बर्मा के बाहर तक खदेड़ दिया । अंडमान निकोबार की भारतीय धरती पर पहली बार भारतीय तिरंगा लहराया । डॉक्टरों ने रासबिहारी को अस्पताल में भारत विजय की सूचना दी और उनकी भूख के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि नर्सें मुझे मेरा देश आजाद होने के बाद भी प्रिय खाना खाने ही नहीं देतीं, तो मुझे भूख कैसे लग सकती है? डॉक्टर ने पूछा कि आपको क्या खाना पसंद है, तो उन्होंने कहा था- नाकामुराया की इंडियन करी । उन्होंने वो करी चखी और चहरे पे अभिमान और गर्व लिए इस दुनिया से विदा हो गये ।