Friday, December 21, 2018

Curriculum vitae

Curriculum vitae

SMRIT KUMAR SINGH
E-mail-Smritsingh1@gmail.com
Call-8317053776
Location- Mumbai
DOB-9/4/1988

Professional summary
My name is Smrit Kumar and I am a writer. I have worked for four years in the field of journalism and have been writing film script and web series for the last two years.

Education
Theater Writing Course from National School of Drama New Delhi.
Film and TV Writing Course from Film and TV Institute Pune.
Screenplay writing course from university of East Anglia (Distance learning)
PG Diploma in Journalism from National broadcast academy Delhi.
Bachelor of Commerce from Purvanchal university Uttar Pradesh.

Professional creative interests
I have keen interest in Indian folklore and believe in premachnd's ideal-realistic writing-style.
apart from this, I have been successful to understand the three act structure of drama and applied it to my writing by the author's book like Joseph Campbell, Christopher Volger, Lajos Egri.
Nowdays I am trying to understand art , craft , philosophy and narration style of Spanish films, and really impressed with the Hispanic directors,Luis Buñuel, Pedro Almodovar and Guillermo del Taro.

Artistic activities
Wrote four audio stories which are available on YouTube.
I have written 10 short stories which have been printed on several media platforms.
written a play.
working on 2 web series.
I am writing a romantic novel which will be published by the end of this year.

Core qualification
Good understanding of Hindi language and dialect.
Word, excel, power point.
Initial understanding of camera and video editing.
Good knowledge of folklore.

Smrit Kumar Singh                                                                                         Date

Wednesday, December 19, 2018

लड़कपन

मेरा नाम "जीत सिंह" है (15)
मेरे घर परिवार से हमे दो चीजें विरासत में मिली है। नंबर एक, जाति से क्षत्रिय है और हमसे छोटी जातिय तो छोड़ो बड़ी जाती यानी ब्राह्मण की भी हमसे फटती है।
दूसरा ये की  "खून खराबा तो खून में है" ।
स्वाति(15)  को हम दिलो जान से चाहते है लेकिन उसने हमें अभी तक फ्रेंड जोन कर रखा है । इसकी तीन वजह है।
पढ़ने में हमसे ज्यादा तेज है बुजरी वाली
फिल्में बहुत देखती है और उन फिल्मों से उसकी बहुत  फटती है जिसमें उसने देख रखा है कि ठाकुरों के लड़के छोटी जाति की लड़कियों को या तो प्यार में,या जबरन उठा ले जाते है और साले प्रेग्नेंट कर देते है ।
तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण ये की उसकी मम्मी खुद एक क्षत्रिय कन्या है, लेकिन एक शिड्यूल कास्ट यानी स्वाति के बाप से शादी करने के कारण उनके परिवार वालों ने उन्हें जिन्दा जलाने की कोशिश की थी। और स्वाति के बाप को तो लगभग मार ही दिया था।
Act 2
अब सीधे मुद्दे पे आते है स्वाति के प्यार में हम अपने घर का लैटरीन साफ किये , सीवेज का ढक्कन खोल के पप्पल मेस्तर के साथ अंदर गए  साला हमको तब पता चला कि एथेन- मेथेन गैस और मलमूत्र कैसे इकठ्ठा होकर पाइप में सड़ता रहता है। बदबू से हम तो मर ही गए  होते  अगर पप्पल (19) बचाता नहीं हमे । पप्पल, मैला पाइप को कैसे साफ करता है, ये हमे तब पता चला और पप्पल को हम पप्पल भाई कहने लगे ।
यहाँ मणिकड़िका घाट पे डोम लोगों के साथ लकड़ी काटे और उठाये,  जिसपे लिटा के मुर्दा फूंका जाता है। और तो और गंगा आरती देखने आए लोगों को, ढक्कन मल्लाह की नाव पे बिठा के घुमाए ,हाथ बहुत दुखता है, कभी चप्पू चला के देखिए, गांड फट जाएगी । इसके अतिरिक्त भोसड़ी का हम" प्यार कैसे करे"  वाला 21 दिन का कोर्स भी किये ।  उसके बाद हम स्वाति की इज्जत बचाये जब बुट्टन शुक्ला(26) उर्फ बोतल भईया ने उसे और उसकी साइकिल दोनो को  बीच सड़क रोक रखा था ।
तब हमको पता चला कि बाहर से अंग्रेजी में बोलने और इतनी सख्ती करने वाली स्वाति कुमार अंदर से कितनी दब्बू है ।लेकिन जब हमको अपने  यार नीलकमल से ये पता चला कि स्वाति छोटी नहीं अति छोटी जाति से आती है तब हमारे पूरे मूड की मईया हो गयी। कलाकंद बर्फी जैसी  सफेद कन्या शेड्यूल कास्ट है,  हम भी कैसे समझते, आजतक ब्राह्मण को माथे से, क्षत्रिय को चौड़ी छाती से और बाकी सब छोटकी जातीय के लोगों को उनके रंग से या ये समझिए काले रंग से ही जज किये थे।जजमेंटल होने में हमारी लंका लग गयी और हमारा प्रेम हमारा "प्रेम कांड हो गया।
हम स्वाति से बात करना बंद किये तो, बुजरी वाली एक दिन मोहल्ले में आ गयी रहने, और गुंडई देखिए मेरे ही बगल वाला प्लाट उंसके बाप ने खरीद लिया, अब हमारे मोहल्ले में ही किराए पे रहने लगी, ताकि उसके पापा मकान जल्दी बनवा सके।
स्वाति को तो मुझ पे पहले से ही अविश्वास था कि, साला हम जरूर उस दिन पीछे हट जाएंगे जिस दिन हमे पता चलेगा कि वो छोटी जाति की है । लेकिन साला हमारे ऊपर ही शनिचर सवार था कि उसे बोलते रहे की, हम उसके लिए किसी की भी गांड मार सकते है।
Act Three
एक दिन घुप रात में आकर हमसे सीधा गले लग के रोने लगी । हमको भर पेट गाली भी दी, दो तीन बार हमारा बाल नोचा और नाखून मारा जो हमारे गले पे बहुत जल रहा था बहुत विषैला नाखून है उसका। हम भी एक झापड़ मार दिए लेकिन उसके गाल पे सही से लगा नहीं । उसने बोला कि वो सारे टास्क जो हमने उसके प्यार में किये वो सिर्फ इसलिए थे ताकि उसे पक्का यकीन था कि हम साले ठाकुर होकर तो वो सारे काम कभी नहीं करेंगे लेकिन हम बकचोद सब कर दिए और लड़की को हमसे प्यार हो गया।
उसने हमें मैगजीन दिखाई जिसमे उंसके प्रश्न का उत्तर था और ये भी की उसने हमसे वो सारे काम क्यों कराए।गृहशोभा मैगजीन में निकलने वाले कालम जिसमे मनोवैज्ञानिक , प्रेम, और स्त्री परामर्श वाले कालम है ।
वो एक सवाल भेजती है । वो अपनी उम्र बढ़ा के ये सवाल पूछती है क्योंकि ये वयस्क लड़कियों की पत्रिका है।
"मैं एक 21 वर्षीय बालिका हूँ। एक लड़का मुझसे बहुत प्यार करता है मुझे भी वह अच्छा लगता है लेकिन मुझे उसकी बात पे चवन्नी भर भी भरोसा नहीं । मैं क्या करूँ"
जवाब कुछ ये आता है
स्वाति जी एक कहावत तो आपने तो सुनी ही होगी।"साँप भी मर जाये औऱ लाठी भी ना टूटे"  आप उस लड़के से वो काम कराइये जिसे वो बिल्कुल भी पसंद नहीं करता अगर वो काम करने में सफल रहता है तो वो सच मे प्यार करता है अन्यथा वो अपने आप ही आपसे दूर जाने में अपनी भलाई समझेगा

पुरस्कार सीजन 1

Act 1
संघमित्रा सिंह(24) अपने पिता जिला जीत सिंह के साथ जयपुर के आर्मी कैंट एरिया में रहती है। संघमित्रा के माता पिता दोनो ही रक्षा विभाग में है । पिता जिलाजीत सिंह(45) डिप्टी सीएम राजा इंद्र देव सिंह के निजी अंगरक्षक है और माँ  दुर्गा देवी (43) इंडियन पॉलिटकल इंटेलिजेंस में, जिसे आज कल हम खुफिया ब्यूरो के रूप में जानते है ।
संघमित्रा अपने माँ बाप की तरह एक देशभक्त सिपाही और अपने राजा के लिए राजभक्त लेकिन सिर्फ 2 सेमी हाइट कम हो जाने से वो आर्मी के लिए अनफिट घोषित हो गयी ।
संघमित्रा आर्मी में हो सकती थी, लेकिन राजा "इंद्रदेव सिंह" के राजनीतिक प्रतिद्वंदी, राजा"संग्राम सिंह"(62)के पुत्र और रिक्रूटमेंट ऑफिसर लेफ्टिनेंट विक्रमजीत सिंह (32) को जब ये पता चला की "जिलाजीत सिंह" "इंद्रदेव सिंह" के स्वामिभक्त है तो अपनी ईमानदारी  का दिखावा करते हुवे उन्होंने संघमित्रा के दुबले पतले शरीर और उसकी कम हाइट की खूब मजाक बनाया और संघमित्रा का अपमान करते हुवे उस के आर्मी सलेक्शन रद्द कर दिया।
संघमित्रा के पिता की सलाह पे संघमित्रा अपने पैतृक गांव वीरपुर चली आयी और डिस्टेंस लर्निंग से सैन्यविज्ञान की पढ़ाई करते हुवे खेतों की देख-रेख करने लगी।
इन सब के बीच "संघमित्रा" "विक्रम" के अपमान को भूल नहीं पाई।
Act 2
संघमित्रा के मा दुर्गा देवी जिनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं है। कई सालों बाद वह घर आई, उन्होंने राजनीतिक लोगों की कई खुफिया बाते और डिप्टी सीएम इंद्रदेव सिंह के बारे बताई की कैसे इंद्रदेव सिंह आईपीआई को आज तक जिंदा रखा। उन्होंने संघमित्रा को ये भी बताया कि कैसे वो लोग बिना सामने आए  महत्वपूर्ण और गोपनीय खबर  देने के लिए अख़बार में निकलने वाले राशिफल का और उसमें छपने वाले कार्टून कि मदत लेते है।
संघमित्रा से विदा लेने के बाद उसकी माँ दुर्गा देवी अपने पति से मिलने विधानसभा जा ही रही थी कि कुछ अज्ञात लोगों ने उनकी रास्ते मे हत्या कर दी और उनसे कुछ जरूरी जानकारी लेने के बाद विधानसभा में हमला कर दिया । इंद्रदेव सिंह की जान बचाने में जिला जीत सिंह शहीद हो गए ।साथ ही इस गोली कांड में मुख्यमंत्री संग्राम सिंह की भी मौत हो गयी।
इंद्र देव सिंह को राज्य का मुख्य मंत्री बनाया गया और राजा संग्राम सिंह के जेष्ठ पुत्री प्रियंका सिंह (38) को राज्य का नया डिप्टी सीएम बनाया जाता है, जो कि विक्रम का सौतेली बहन है।
संघमित्रा इस बात से बेहद आहत है कि,मुख्यमंत्री बनते ही इंद्रदेव सिंह ने जिलाजीत और दुर्गा देवी  का एक शहिद स्मारक और संघमित्रा को नौकरी देने का वादा किया लेकिन अपने वादे को पूरा नहीं कर पाए ।
विक्रम को भी अपने पारिवारिक दबाव के कारण राजनीति में आना पड़ा क्योंकि उसे यही लगता है कि उसके पिता की मौत के पीछे इंद्रदेव सिंह और उसकी बहन प्रियंका की अहम भूमिका हैं।
एक रैली के दौरान मुख्यमंत्री ने वीरपुर गांव को इंडस्ट्रियल हब बनाने के साथ वहाँ एक भव्य सैनिक संग्रहालय बनाने का वादा किया ।
संजोग वश संघमित्रा की जमीन भी अधिग्रहण क्षेत्र में आ गयी जहाँ इंडस्ट्रियल हब बनाना प्रस्तावित था ।
"संघमित्रा" किसी भी कीमत पे अपनी जमीन नहीं बेचना चाहती थी । उसने अपने कुछ साथियों को लेकर भूमि-अधिग्रहण का विरोध करने लगी ।
एक ऐसे ही विरोध प्रदर्शन के दौरान "विक्रम" की "संघमित्रा" को देखता है और उसके बदले हुवे तेवर और रूपरंग से बेहद प्रभावित होता हैं।
दूसरी तरफ डिप्टी सीएम "प्रियंका सिंह" बड़े पैमाने पे भू-माफियाओं के साथ साठ गांठ करके वीरपुर की काफी जमीनें हड़प लेती है।
"संघमित्रा" सरकारी फरमान का पुरजोर विरोध करती है तो प्रियंका उसे पुलिस, और माफियाओं के बल पे डराने, धमकाने और उसका रेप कराने की कोशिश करती है । उंसके साथ कई तरह के अमानवीय अत्याचार किये जाते है। उंसके खेतों को जला दिया जाता है और मवेशियों को काट दिया जाता है ।
कुछ किसान संगठन, मार्क्सवादी पोलित ब्यूरो और जेएनयू के छात्र संघमित्रा के समर्थन में आते है लेकिन वो भी पैसे और पावर के आगे झुक जाते है और उलटे संघमित्रा से विरोध वापस लेने के लिए दबाव बनाने लगते है।
संघमित्रा को ऐसे में उंसके कुछ दोस्त जैसे पूजा मंडल(26)जो उसकी हर बात को एक अख़बार के माध्यम से जनता के बीच पहुचाने का काम करती है, एक डॉक्टर विजय(34)  जिसने शपथ ली है कि वह किसी भी इंजरी में उसे मरने नहीं देगा और कुछ ऐसे बाहर से आये मजदूर  बच्चा (22) रिंकू(26)  शंकर (39)जो उसे हर बार छुपने के जगह देते है।
अब विक्रम जीत सिंह राजनीतिक समीकरण और मुद्दों को हाईजैक करने वाला एक माहिर खिलाड़ी हो चुका है। उसे संघमित्रा का दिल जीतने और उसके जमीन अधिग्रहण विरोध में एक राजनीतिक अवसर मिलता है, जो उसे प्रदेश की राजनीति में स्टेबलिश कर सकता है।
विक्रम अपनी पार्टी लाइन से अलग जाकर  अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिए इस बात को पूरे राज्य में प्रसारित करता है कि मुख्यमंत्री राजा इंद्रदेव सिंह ने अपने वायदे को पूरा नहीं किया जबकि संघमित्रा के पूर्वजो ने 100 सालों से भी ज्यादा राजघराने की सेवा की।
विक्रम, संघमित्रा को अपना खुला समर्थन देने की बात कहता है लेकिन संघमित्रा विक्रम से किसी भी प्रकार की सहायता लेने से इनकार कर देती है। एक तो वह विक्रम द्वारा किये गए अपमान को भूल नही पाई है वही दूसरी बात कि, वह नहीं चाहती कि उसके और मुख्यमंत्री के बीच मे जो तकरा है उस बात का कोई तीसरा व्यक्ति फायदा उठाए। संघमित्रा विक्रम को दो टूक शब्दों में -पूरे मामले से दूर रहने की सलाह देती है।
विक्रम, संघमित्रा की बात सुनकर  लौट तो जाता है लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से दूसरे लोगों को इस बात के लिए उकसाता है कि वो लोग अपनी जमीन सरकार को औने पौने दाम में ना बेचे। 
संघमित्रा भी अब विक्रम के इस आदर्श वादी और ईमानदार छवि से प्रभावित होती है। और उनमें थोड़ी बहुत बात शुरू होती है।
संघमित्रा को ये अहसास होता है कि विक्रम ने जो भी उंसके साथ किया वो लॉयल इंसान की निशानी है जो किसी कीमत पे अपने आदर्शों और मूल्यों के साथ समझौता नहीं करता । अब उसके दिल मे विक्रम के लिए पहले जैसे कड़वाहट नहीं रहती।
संघमित्रा के विरोध प्रदर्शन से प्रभावित होकर कई लोग अपनी ज़मीन नहीं  बेचते । ऐसे लोगों का एक समूह संघमित्रा के साथ खड़ा हो जाता है जो भूमि अधिग्रहण का विरोध करता है।
मुख्यमंत्री को लोगो के भारी आक्रोश और संघमित्रा के बैक ग्राउंड के बारे में पता चलता है ।
विक्रम के दबाव में डिप्टी मुख्यमंत्री प्रियंका सिंह ,किसानों को जमीन का चार गुना मूल्य और मुख्यमंत्री इंद्रदेव सिंह, संघमित्रा की ज़मीन पे शहीद संग्रहालय बनवाने के लिए राजी हो जाते है ।
संघमित्रा को जब ज्ञात होता है कि सरकार उंसके माता-पिता के सम्मान में उसकी जमीन पे ही शहीद संग्रहालय का निर्माण करना चाहती है तो वह अपना विरोध प्रदर्शन वापस ले लेती है। वहीँ बाकी लोग अपनी जमीन का चार गुना मूल्य पाकर खुश हो जाते है।
पार्टी के आंतरिक कलह को शांत करने के लिए  "पार्टी हाई कमान विक्रम को राज्य का डिप्टी मुख्यमंत्री बनाती है क्योंकि विक्रम ने संघमित्रा के मुद्दे को उठाकर अपनी ही  मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनो को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
वही प्रियंका द्वारा किये गए करप्शन और संघमित्रा पे किये गए शोषण का भी कच्चा चिट्ठा सबके सामने हैं मुख्यमंत्री को जब इसके बारे में पूरी जानकारी होती है तो वह प्रियंका सिंह को आखरी चेतावनी देते है ।
प्रियंका डिप्टी सीएम के पद से हटाये जाने के बाद से बेहद आहत है और सरकार गिराने का प्रयास करती है । उसे पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया जाता है।
Act3
संघमित्रा को एक पोलिटिकल जर्नलिस्ट "पूजा मंडल" से ये पता चलता है कि विक्रम ने किस तरह जमीन अधिग्रहण और उसका फायदा उठा कर उपमुख्यमंत्री बन गया ।
संघमित्रा अपनी सारी जमीन बिना एक पैसा लिए सरकार को दान दे देती है।
सरकार, संघमित्रा को इस नेक काज के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार देने की घोषणा करती है लेकिन वह राष्ट्रपति  पुरस्कार को भी लौटा देती है। वह अपनी पैतृक संपत्ति के एवज में किसी भी प्रकार का मूल्य या पुरस्कार लेना अपराध समझती है
संग्रहालय के शिलान्यास के दिन मुख्यमंत्री राजा इंद्रदेव सिंह राजधर्म का पालन करते हुवे  संघमित्रा को संग्रहालय का आजीवन चीफ क्यूरेटर नियुक्त करते है ।
इसी समारोह में  विक्रम संघमित्रा से अपने प्रेम का इजहार करता है संघमित्रा उसे ढोंगी और स्वार्थी बताती है और उसके प्रेम को अस्वीकार कर देती है।
वह विक्रम को बेज्जत करती है ,संघमित्रा का दिल ये बात मानने को तैयार ही नही होता कि विक्रम बिना किसी लाभ के उस जैसी साधारण लड़की से प्रेम कर सकता है।
विक्रम उसे समझाने का प्रयास करता है कि "जमीन का चार गुना मूल्य और तुम्हारे माता-पिता का सम्मान दिलाने में अगर मुझे भी राजनीतिक फ़ायदा हुआ है तो इसमें गलत क्या है। राजनीति में ऐसे दाव पेच किये जाते है।"
संघमित्रा विक्रम को याद दिलाती है कि कैसे उसने ईमानदारी और देश भक्ति की आड़ में उंसके पिता की बेज्जती की थी और उसे आर्मी सलेक्शन में रिजेक्ट कर दिया था" और अब उसकी नैतिकता और आदर्श कहा है, जब उसने दाव-पेच करके अपनी राजनीतिक लालसा पूरी की है। विक्रम लज्जित और अपमानित होकर वहाँ से लौट जाता है।

पुरस्कार सीजन 2

एक्ट 1
संघमित्रा के आस पास अब कहने भर के ही दोस्त और रिश्तेदार है ,जो अब वीरपुर इंडस्ट्रियल क्षेत्र में बनी बड़ी बड़ी कंपनियों में काम कर रहे है और उनके परिवार को जमीन का भारी भरकम मुआवजा मिला है। उनकी आर्थिक स्थिति में भारी फेरबदल आया है और अक्सर वो लोग  पैसा रुपये के दम पर दूसरे शहरों से आये मजदूरों का मानसिक और शारीरिक शोषण करते है।
पूजा संघमित्रा के जन्म दिन पे मिलने आती है और उसे एक एंड्रॉयड फ़ोन गिफ्ट करती है । संघमित्रा उसे लेने से इनकार करती है तो पूजा जिद करके उसे फोन दे देती है कि ये फ़ोन पुराना है। उसने दूसरा फ़ोन लिया है इसलिए उसे दे रही है। संघमित्रा ने फ़ोन ले तो लिया लेकिन उसे यूज़ नहीं किया । अक्सर इस बात से पूजा नाराज रहती है।
संघमित्रा पिछले 6 महीनों से अपने जमीन के पास ही टीन शेड के मकान में रह कर अपना जीवन निर्वाह कर रही है। उसकी आर्थिक स्थिती अच्छी नहीं है क्योंकि वह बेरोजगार है और संग्रहालय का काम अभी शुरू नहीं हुआ है।
संघमित्रा की दोस्त प्रभा की शादी है । शादी में पहुचती है तो उंसके गंदे कपड़े को देखकर प्रभा अपनी शादी में जयमाला के समय संघमित्रा को  स्टेज पे चढ़ने से रोक देती है।
संघमित्रा के इस अपमान के बाद शादी में वापिस जा ही रही थी की उंसके दो दोस्त सुनील और अभय उसे घर छोड़ने के बहाने रास्ते मे उसके साथ बत्तमीजी करते है । संघमित्रा चलती गाड़ी से कूद के कर अपनी जान बचाती है। संघमित्रा को बच्चा और बबलू डॉक्टर विजय के पास ले जाते है।
एक्ट 2
कुछ दिनों बाद जब संग्रहालय का निर्माण चीफ अफसर जगन मिश्रा की देख रेख में शुरू होता है। संघमित्रा को कुछ राहत मिलती है जब उसे पहली सैलरी मिलती है । गौर करने वाली बात ये है की जगन और विक्रमआर्मी में साथ थे और गुप्त रूप से प्रियंका के भी जगन के साथ अवैध सबन्ध है।
संघमित्रा को अपने पिता के लिखे कुछ लेटर मिलते है जो उन्होंने ने संघमित्रा की माँ को किसी भी वॉर पे जाने से पहले लिखे थे । संघमित्रा इस बात से बेहद प्रभावित होती है और हजारों सैनिकों के आख़री खतों को कलेक्ट करती है जो वो आखरी बार अपने परिजनों को भेजते थे।
संघमित्रा चीफ ऑफिसर की मदत से संग्रहालय में एक पोस्ट ऑफिस का डमी मॉडल तैयार करती है, जहा लोग सैनिकों के लेटर्स से उनके आखरी पलों और उनके मनोभावों को समझ सकते है।
विक्रमजीत सिंह को बबलू के माध्यम से अभय और सुनील के बारे में पता चलता है तो अपने लोगो को बोल के सुनील और अभय को एक आपराधिक मामले में नामजद करा कर पुलिस के द्वारा उन की जमकर पिटाई करवाता है।
सुनील और अभय की गॉड फादर प्रियंका सिंह है। दोनो अपराजय के अवैध काम को सम्हालते है । प्रियंका को लगता है कि विक्रम की नजर अब उसके कारोबार पे है।
विक्रम की एक रैली में अपराजय और विक्रम के समर्थन आपस मे भीड़ जाते है ।
एक दैनिक अखबार एक सैनिक की आप बीती प्रकाशित हो जाती है । सैनिक ने कुछ आर्मी ऑफिसर्स पे बेहद गंभीर आरोप लगाए जिनमे विक्रम के नाम का जिक्र था जब वह आर्मी में था। सैनिक गोपाल (28) ने  अमानवीय व्यवहार के बारे में बताया और ये भी बताया कि उन्हें मेस में बेहद खराब खाना मिलता है  और भोजन में उन सामग्री का प्रयोग होता है जिनकी एक्सपायरी डेट बीत चुकी है।
मिडपॉइंट
सैनिक गोपाल की देशभक्ति पे शक किया जाता है । सैनिक का उंसके साथी सैनिकों द्वारा कई बार निरादर होता है औऱ वो सैनिक अखबार के हेड ऑफिस  के सामने आत्मदाह कर लेता है । अपने सोसाइड नोट में वह लेटर को छपवाने वाले को अपनी मौत का कारण मानता है।
लेटर में विक्रम का नाम आने से विक्रम को जांच पूरी होने तक नैतिक आधार पर अपने पद से रिजाइन करना पड़ता है।
मामले की जांच होती है तो पता चलता है कि लेटर का रिसोर्स  सैनिक संग्रहालय का ही कोई सदस्य है। जांच रिपोर्ट में ये बात सामने आती है कि संघमित्रा ने  सारे खत,  सैनिकों के परिवार वालो से एकत्र किए थे ।
सैनिक के परिवार के लोगों ने संघमित्रा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई क्योंकि संघमित्रा ने ये खत छपवा के सैनिक की निजता का हनन किया जिसके कारण सैनिक को आत्मदाह जैसा कदम उठाना पड़ा।
पोलिटिकल पत्रकार पूजा मंडल जो शुरू से ही इस पूरे मामले को गंभीरता से देख रही थी । संघमित्रा उससे मदद मांगती है क्योंकि सैनिक का लेटर पूजा  के अखबार में छापा है।
पूजा अभी संघमित्रा की कुछ मदत कर पाती की उसे पहले ही रहस्यमय तरीके से उसकी मौत हो जाती है।
प्रशासन पे सैनिक के परिवार वाले दबाव बनाते है और संघमित्रा को पुलिस रिमांड में ले कर पूछताछ करती है।
संघमित्रा को क्यूरेटर की जॉब से भी अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया जाता है।
पुलिस को भी ये लीड मिलती है कि पूजा ने आखरी बार संघमित्रा को ही फ़ोन किया था ।
अब पूजा के कत्ल के मामले भी पुलिस  संघमित्रा से पूछताछ करती है।
संघमित्रा पुलिस कस्टडी में रहते रहते मानसिक रूप से टूट जाती है । जेल के बैरक में बैठी संघमित्रा से विक्रम की ख़ास पुलिस अधिकारी मालिनी जोशी मिलने आती है । जो बताती है कि विक्रम ने उसे भेजा है। वह सिर्फ इतना ज्ञात करना चाहता है कि तुमने ऐसा क्यों किया । संघमित्रा कहती है की उसने विक्रम के खिलाफ कुछ नहीं किया ।
संघमित्रा को विक्रम के सच्चे प्यार का अहसास होता है। उसे लगता है कि अगर वह विक्रम के साथ होती तो उसे इतने बुरे दिन नहीं देखने होते। उसके पास भी ढ़ेर सारे सुख होते और विक्रम को भी समझ आता कि ये सब मैने नहीं किया।
मौत से पहले पूजा ने प्रियंका सिंह और जगन का एक स्टिंग ऑपरेशन किया जिसको वह अपने गूगल ड्राइव में सेव कर ही रही थी कि कुछ लोगों ने उसकी हत्या कर दी और उसका फ़ोन, लैपटॉप सभी कुछ जला दिया और सिर्फ एक पैन ड्राइव अपने साथ ले गए।
इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर मालिनी जोशी (32) जो विक्रम के कहने पर गुप्त रूप से इस मामले की छान बिन करती है तो उसे संघमित्रा के घर से एक और फ़ोन मिलता है । ये फोन वहीँ फ़ोन था जिसे पूजा ने दिया था और इसमें अभी भी पूजा का प्राइवेट गूगल अकाउंट एक्टिव था । गूगल ड्राइव में मालिनी को एक  unfinished file मिलती है और इसी प्राइवेट अकाउंट में पूजा वो वीडियो save kar रही थी जब उसकी हत्या की गई।  ये वीडियो नीलिमा विक्रम को देती है।
विक्रम उस वीडियो फ़ाइल को ओपेन करता है तो उसमे प्रियंका और संग्रहालय के चीफ ऑफिसर जगन मिश्रा सेक्स कर रहे है । टेप में चीफ ऑफिसर प्रियंका से कह रहा  है कि उसने जानबूझ कर संघमित्रा के बिना जानकारी के गोपाल के लेटर पढ़े और तुम्हारे ही कहने पे विक्रम का नाम उछाला गया।
विक्रम, प्रियंका को खूब धमकी देता है और प्रियंका उस टेप को पब्लिक ना करने की बात करती है क्योंकि इस बात से उसकी और उन दोनों के खानदान की बहुत बदनामी होगी । लेकिन विक्रम उसकी बात नहीं सुनता और अपने रिसोर्सेस का इस्तेमाल करके उस टेप को सोशल मीडिया पे पब्लिक कर देता है।
उसी रात ही चीफ अफसर जगन की गिरफ्तारी हो जाती है।
चीफ ऑफिसर ने अपने इकबालिया बयान में ये भी खुलासा किया कि  "पूजा मेरा स्टिंग ऑपरेशन कर के मुझे ब्लैकमेल कर रही थी। जिसके बाद मैंने पूजा का कत्ल करा दिया
संघमित्रा को बरी किया जाता है और उसकी नौकरी उसे वापस मिलती है ।
इस बीच विक्रम के ऊपर प्रियंका एक जानलेवा हमला कराती है। विक्रम को भी गोली लगी लेकिन वो बच निकलने में कामयाब हो गया। विक्रम की सुरक्षा की बेहद गोपनीय जानकारी प्रियंका को थी। ऐसे मौके पे विक्रम का घर भी सुरक्षित नहीं था और वह किसी पे विश्वास नहीं कर सकता था।
एक सुरक्षित स्थान की तलाश में घायल विक्रम, संघमित्रा के पास जाता है । संघमित्रा विक्रम को अपने घर में रात गुजारने देती है । अब विक्रम एक बार फिर से संघमित्रा से अपने प्रेम का इजहार करता है और अंदर से टूटी हुई संघमित्रा भी विक्रम को बताती है कि वो भी उससे से प्यार करती है। संघमित्रा को विक्रम को बोलती है कि वो हमेशा उसका साथ निभाएगी और उसके लिए कुछ भी करेगी। और एक कुशल राजनीतिज्ञ की तरह विक्रम इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहता।
विक्रम को मंत्रिमंडल में फिर से डिप्टी सीएम की पोस्ट मिलती है और प्रियंका की राजनीतिक पारी का हमेशा के लिए अंत होता है लेकिन न्यायिक जांच से बचने के लिए वह अंडर ग्राउंड हो जाती हैं।
पुलिस कमिंशनर विजेंद्र राणा इंद्र देव सिंह को बताते है की कुछ कैदियों की आपसी मारपीट में चीफ ऑफिसर जगन मिश्रा  की किसी ने हत्या कर दी।
विक्रम संघमित्रा को लेकर कुछ दिनों के लिए गुप्त रूप से विदेश चला जाता है । संघमित्रा और विक्रम प्यार भरा समय बिताते हैं। वही विक्रम संघमित्रा को कान और नाक का एक खूबसरत Ear और Nose pin देता है।
विक्रम संघमित्रा को सीएम की हत्या में उसकी मदद करने के लिए राजी कर लेता है। विक्रम संघमित्रा को पूरी सावधानी से सारे समीकरण समझता है की सीएम की मौत के बाद विक्रम को औपचारिक तौर पे राज्य का सीएम बना दिया जाएगा । एक जांच दल का गठन करे गा जिसकी अगुवाई जोशी करेगी कुछ सालों की जांच पड़ताल के बहाने सबूत और साक्ष्य को मिटा दिया जाएगा और जब रिपोर्ट सामने आएगी उसे किसी आतंकी घटना का नाम दिया जाएगा और तब तक चुनाव आ जाएंगे और सीएम की मौत की निष्पक्ष जांच से पब्लिक का सेंटीमेंट उंसके साथ होगा और वह फिर से चुनाव जीत जाएगा।
दोनो कुछ दिन बाद विदेश दौरों से लौट आते है और अपने अपने काम में लग जाते है।
विक्रम बहुत तेजी से संग्रहालय का निर्माण कार्य पूरा कराता है।
सीएम के संग्रहालय दौरे की सटीक जानकारी जोशी जी विक्रम को दे देती है ।
विक्रम संग्रहालय के उद्घाटन के दिन सीएम के मौत का दिन मुकर्रर करता है ।
विस्फोट सामग्री का पूरा जिम्मा संघमित्रा को दिया जाता है। संघमित्रा की मदत से  बिना रोक टोक के जिलेटिन की छड़े और आर डी एक्स संग्रहालय में ले जाया जाता है।
जैसे जैसे उद्घाटन का दिन नजदीक आता जाता है संघमित्रा विचलित होती जाती है
जब वो संग्रहालय में काम करने वाले बबलू, बच्चा और संकर को देखती है तो खून से सने उनके चेहरे उसे ये अपराध ना करने की याचना करते है । लोगो के कटे फटे हाथ पैर संघमित्रा को दिखाई देते है । अपनी माँ बाप की प्रतिमाओं को देखकर उसे याद आता है कि जिस राजा और मुख्यमंत्री की जान बचाने में उसकी माता पिता ने बलिदान दिया आज उसी राजा को मार कर वह अपने सुख की कामना कर रही है। संघमित्रा की राजभक्ति उंसके प्रेम के ऊपर हावी हो रही है।
संघमित्रा ये जानती थी कि विक्रम की पहुच मुख्यमंत्री के पूरे कार्यालय में है अगर वो सीधे मुख्यमंत्री को उनकी हत्या वाली बात करने गयी तो विक्रम को इसकी भनक लग जायेगी । उसे याद आता है कि उसकी माँ ने बताया था कि मुख्यमंत्री को जिनसे भी खतरा होता है ,उन लोगो की सूचना वह मुख्यमंत्री को अखबार में निकलने वाले राशि फल के माध्यम से देती है। संघमित्रा के माँ के डायरी में उन अखबारों के नाम थे जो मुख्यमंत्री टेबल पे सबसे पहले पढ़ते थे और उसमे एक नाम एस्ट्रोलॉजर देविका का था ये हमेशा संघमित्रा के मा के संपर्क में थी।
संघमित्रा एक एस्ट्रोलॉजर देविका से संपर्क करती है और उनके माध्यम से लगातार एक हफ्ते तक प्रजातंत्र अखबार में वृषभ राशि वालों को सिंह राशि के इंसान से बचने की सलाह दी जाती है।
मुख्यमंत्री जब इस राशिफल को पढ़ते है तो उन्हें पता चलता है कि सिंह राशि तो विक्रम की है अपने गोपनीय पोलिटिकल इंटेलिजेंस से उन्हें पहले देविका और उसके बाद संघमित्रा का पता चलता है।
मुख्यमंत्री अपने ख़ास लोगों से विक्रम की गतिविधियों का पता लगाने के प्रयास करते है तो सबकुछ परत दर परत खुलने लगती है ।
विक्रम एक दिन संघमित्रा से प्यार करते हुवे एक नया नेक लेस और नए nose pin और ear pin से पुराने nose pin और ear pin को बदल देता और वापस अपने आवास पे लौट जाता है।
विक्रम पुराने nose pin aur ear pin से एक ट्रांसमीटर और एक हिडेन कैमरा निकलता है। कैमरे की तस्वीरों और ट्रांसमीटर में कैद आवाज सुनकर  विक्रम को पता चलता है कि संघमित्रा ने उसके खिलाफ मुख़बरी कर दी है।
वो वापस संघमित्रा के पास लौटता है और उसे गर्दन से पकड़ लेता है की तभी मुख्यमंत्री  का गोपनीय दस्ता विक्रम और संघमित्रा का अपहरण कर लेता  है।
मुख्यमंत्री के ख़ुफ़िया ठिकाने पे विक्रमजीत सिंह को मौत के घाट उतारने और फिर उसे एक्सीडेंट का रूप देने की तैयारी हो रही है । मुख्यमंत्री को डर है कि अगर विक्रम के ऊपर सीधी करवाई हुई तो विक्रम के साथी विधायक बगावत कर देंगे और सरकार गिर सकती है।
संघमित्रा को इंद्रदेव सिंह बुलाते है और उससे क्षमा मांगते है कि उन्होंने उंसके माता पिता का उचीत सम्मान नहीं किया । संघमित्रा ने प्रेम और सुख को ठुकराते हुवे राजभक्ति निभाते हुवे इंद्रदेव की  जान बचाई ।इन्द्रदेव, संघमित्रा से पुरस्कार स्वरूप कुछ भी मांगने को बोलते है।
संघमित्रा आखों में आंसू लिए राजा से कहती है कि फिर आप मुझे भी विक्रम के साथ मृत्यु दंड दीजिए क्योंकि मैं आज भी उससे प्रेम करती हूं और वो उस छोटे विमान में बैठ जाती है। इस विमान को क्रैश कराने की तैयारी हो रही ताकि सभी को लगे कि विक्रम की मौत एक प्लेन क्रैश में हुई है।