Monday, January 8, 2018

चमत्कारी झालर

चमत्कारी झालर 
जी हा साहिबान ये शहर बनारस है।  बात एक ,मगर तड़क के, झटक के, मेलह के, सलेह के, बोलने से बात का मतलब बदल जाता है।मामला, माल, चिरई, ठुल्ली ,नमकिन, मलाई, लग्घड़, लेना देना ,ऐसे सैकड़ो शब्दों का प्रयोग कई अर्थो में किया जाता है।
यहाँ कोई किसी की परवाह नहीं करता कोई नहीं डरेगा आपकी औकात से , घण्टा कही के होंगे आप लार्ड साब, इहा बजता तो बस बाबा विश्वनाथ का है।
पान घुलाये,चबूतरे पे तशरीफ़ सिकोड़ के बैठा, पगलेट सा दिखने वाला यह शख्स ,जिसे आप बहुत देर से बौड़म समझ रहे थे,अचानक से उठकर आपकी हकीकत में ऐसे,ऐसे रंग भर सकता है जिसकी कलल्पना भी आपने  नहीं की होगी। सांड भांड साधु सन्यासी के देश में ये एकलौता चित्रकार है ,जो चित्रों से चमत्कार करता है ।
कैसे, आइये खुद ही देखते है।

दृश्य 2
चित्रकार झालर गुरु  - ए माई लंगड़ा आयल का।
(माँ अभी चूल्हे में फुक मारे, करीयाह (कमर ) पकड़ के ऊठ ही रही थी की प्रवेश द्वार से एक आदमी का प्रवेश)

सिपाही धरम सिंह
( चहरे पे नाराजगी के भाव के साथ)
  हां । हू मैं लंगड़ा सब बोलते है , तुम भी बोलो लेकिन कभी ये लंगड़ा, काशी नरेश का सबसे तेज पैदल सिपाही था । एक फलांग में पांच पाँच  कोस नाप दिया करता था। लेकिन आज एक लाचार, लंगड़ा है जो भविष्य में यातायात डिपो के पास तीन पहिया साइकिल पे पान ,बीड़ी ,सिगरेट  बेचेगा ।

चित्रकार की माँ दुलारी देवी - बाबा इलाइची पल्स क गोली और चना जोर गरम भी गिन दा घासड़ी के
अरे इ तो पगला हौ पर तु कहे अचरज का चोदल हुउआ।
दु दिना (दिन) से लंगड़ा आम मांगत हौ,
और खाये से पहले ही भुला जाथ हौउ।

सिपाही धरम सिंह ( भाव भंगिमा और शारीरिक ऐठन में भारी बदलाव करते हुवे सहज मुद्रा में) माँ की बात को जब्त करके झालर गुरु की तरफ देखते हुवे
क्षमा करना
क्या तुम्ही हो झालर गुरु
झालर - अरे ना बुजरो के हम तो बस झालर हई ,उ भी अनाथ ,गुरु उपनाम त हर बनारसी से चिपकल हउ।
सिपाही -बहुत सुना है तुम्हारे बारे में क्या तुम मेरी टांगे ठीक कर सकते हो।
झालर- पान की पिचकारी मारते हुवे।ई कौन बड़ी बात हौ। खण्डन कह खंडन करी मंडन कह मंडन करी।
जा राजा का गोटी जाके चबूतरा टिका ला।
(सामने रखी कुर्सी पे सिपाही बैठ जाता है और झालर अपने अन्टे से ब्रश निकालकर उसका चित्र बनाने लगता है।)
झालर - ए लघ्घड़ गुरु बूंद बूंद उठा।
सिपाही - अरे मै तो खड़ा हो गया। देखो मै तो चल भी रहा हो, तुम तो देवता हो ।आज से ये पैदल सिपाही तुम्हारा गुलाम हुआ ।मुझे अपनी शरण में लेलो, मुझे अपने पास ही रहने दूँ बस ये एक अहसान मुझपे और कर दो।
झालर -महादेव के कृपा से हम इ बूढी माइ के आसरे और अब तू बुजरो के हमरे आसरे । ए माई भभूत लगा के स्वागत कर अपने नया लइका के। आवा रजु पिछाड़ी सम्हार के।

थोड़ी देर बाद अवध के एक नवाब और उनकी  बेगम जान झालर गुरू के यहाँ तशरीफ़ लाते है ।
बेगम - बहुत आश के साथ आयी हूँ क्या आप अपने रंगो से मेरी सुनी गोद भर सकते है। बुरुश चला के बच्चे की किलकारी मेरे आँगन में सुना सकते है। हर पीर बाबा, मजार, दरगाह, मन्दिर में मेरी आरजू की अर्जी रखी है। क्या आप मेरी आरजू को हकीकत बना सकते है ।

झालर गुरु बुरुस चलाते है और स्त्री को मात्रत्व का सुख मिल जाता है।

थोड़ी देर बाद
लकड़ी की सलाई से स्वेटर बुनती बूढ़ी औरत और उसकी बेटी का प्रवेश
मेरी बेटी की शादी है झालर गुरु ,
कल मॉर्निंग तक बिटिया के गहने ना बने तो डोली नहीं अर्थी उठे गी मेरे घर से वो भी दो दो

झालर - अरे नयका ज़माने क ओल्डमौंक भौजी दोबारा पलट के देख ला कन्या के सज गइल गहना गीठो में।

दृश्य तीन
कशी नरेश का दरबार
राजा- महामंत्री। सैनिको के सीधी भर्ती के बिसय में कौनो खोज खबर
कब तैयार होंगे हमार यूनिवर्सल सोल्जर कब आएगी बफोर्स टोपे (तोपे)
मंत्री - घण्टा तैयार होंगे यूनिवर्सल सोल्जर
राजा - महामंत्री अभिये पटक के मारब तोहे बुजरी के....
अरे सरकार आप तो पिनक गए डोन्ट बी हाइपर ।
कूल कूल ठंडा कूल
नवरतन। काशी नरेस (नरेश) के केस में तेल लगावो
पंखा हाक रहा नवरतन काशी नरेश के बालों में तेल चपोड़ने लगता है।
राजा- बश बश रात में तकिया खराब हो जाएगी .
एक तो साला हम इस श और स बने सब्दों से  बड़े परेसान है ।
महामंत्री- मालिक स और श से तो आप क्या पूरा उत्तर भारत परेसान है । काशी में आपकी कृपा से बश आच भर है असली आग तो पाटलीपुत्र और नालंदा में लगी है । आज भी वहा लोग सड़क को सरक ही बोलते है ।
राजा- अरे छोड़ो ये डिक्शन की फिसलन
तुम यार महामंत्री विस्तार से सैनिकों की भर्ती के बिसय में शमझावो पहले
महामंत्री - क्या कहे काशी नरेश
आपके साले और वर्तमान सेनापति बब्बन गुरु ने तो अपने सगे सम्बन्धी और दोस्त यारन को सेना में भर्ती कर लिया है । जो दिनभर भांग पी के मस्त रहते है और रास्ते भर कन्याओ के साथ खालीपीली खिलवाड़ और छेड़ छाड़ करते रहते है।

राजा - महामंत्री ये खालीपीली तो बनारसी नहीं बम्बईया लगता है । डोंगरी में पाया जाने वाला शब्द है ।
महामंत्री- क्षमा करे महराज ये शब्द डोंगरी का नहीं भिंडीबाजार का है।
अच्छा ये शब्द मंथन छोड़िये आपको संज्ञान भी है की इस बार गोला बारूद का ठेका बब्बन गुरु ने किसको दिया है ।
राजा - महादेव बचाये इस बब्बन से
किस चांडाल को दे दिया है ठेका उजागर करो

महामंत्री -  गोला बारूद का ठेका दे दिया है महा दलाल पेलू पाण्डे को फिर कैसे बनेगी आपकी यूनिवर्सल सेना और कैसे होगा सिविल वार । आप केवल महारानी और पटरानियों के कोल्ड वॉर के मजे लूटते रहिये।
राजा- फिर हम क्या करे महामंत्री
साला नहीं हमारी जुबान का ताला है बब्बन ।
महामंत्री- एक उपाय है ।
राजा - अब क्या शार्ट कमर्शियल ब्रेक लोगे
बिना एड ब्रेक के उपाय  हाली हाली(जल्दी जल्दी) बतावो ।
महामंत्री - काशी नरेश राज्य में एक चित्रकार है जो की जी एफ एक्स तकनीक से लैश है । जो भी चित्र बनाता है साक्षात प्रगट हो जाता है।
दरबारियों में हलचल और सब फुसफुसाने लगते है कि ,भविष्य की तकनीक वर्तमान में कैसे ।

राजा -भांग क भनक त रहल हम्मे लेकिन आज गांजा चढ़ा के आया है क्या बे
महामंत्री - एक एक शब्द बिना हैंगओवर के बोल रहा हूँ काशी नरेश । फिर भी चुल मची है तो स्वयम चलकर देख लीजिये ।

राजा - ये बात है तो चलो फिर ।
दृश्य 4
महामंत्री और काशी नरेश साधारण मानस के भेष में झालर गुरु के पास पहुचते है।

राजा- कोसो दूर से आये है । भर्ती देने । सुना है काशी में सैनिकों की सीधी भर्ती चल रही है । लेकिन ना असलहा है ना घोड़ा ।
झालर गुरु - (मघई पान घुलाते हुवे )
तलवार चाही की भाला

राजा - ऐसी छपा छप तलवार बना दो  गुरु जो दुइ इंच सीना चीर के लहू पिए लागे l
महामंत्री - मुझे एक घोड़ा दिला दो जो चेतक के सामान सरपट सरपट भागे हुर्रर्रर्रर्रर्र..टकाटक टकाटक

झालर गुरु -खंडन कह खंडन करी मंडन कह मंडन करी मंतर पढ़ चित्र बनाने लगता है ।
राजा के हाथ में तलवार आ जाती है और महामंत्री खुद को काले अरबी घोड़े पे बैठा पाता है।

दृश्य 5
राजा - महामंत्री  रात में , दो चार भगेड़ी नशेड़ी सिपाहियों का एक टास्कफोर्स गठित करो , जो खुफिया काम करने में माहिर हो और भेजो चित्रकार के घर ।
महामंत्री - इस काम के लिए हमे सेनापति बब्बन के लीडरशिप की जरुरत होगी महराज । अक्सर उनके सिपाही ठेठरी बाज़ार में टोटी, टंकी, लोहा ,लकड़ ,पीतल, कस्कूट बेचते नजर आते है ।

दृश्य 6
"बब्बन" सरसो तेल पोत पात के, भांग ठंडई छान के, घुप अंधेरे में नसेड़ी "भुतालि" के साथ पक्का महल कॉलोनी की और कूच कर देता है। 

चोर की की बंद जुबानी वाली चकक्लस के बीच झालर की नींद खुल जाती है ।

झालर - चमगादड़ उल्लू की तरह शायद इन भूतों को भी रौशनी रास ना आती है।
काहे हमार रहस्यमय नींद में खलल का बीच बो रहा है बे, ऊभी अंनिहारे में
बेटा एक हुरा लगी तो अस्सी से दशसुमेत पे डुबकी समाधी ले लेबे। चल भाग इहा से

बब्बन - का करे झालर महराज हुमहो एक चितकबरा चित्रकार हई ।

झालर -बनारस में जेबरा (जेब्रा) कहा से आ गईल बे इहा त बस घड़रोज आवेला ।

बब्बन - रंग ,बुरुश ख़रीदे बदे पूजी में बस चिलर रहल । एहि बदे आपके घरे हाथ मारे आ गइली। इहा( यहाँ)  त रगंन का रेला बा और बुरुश का भंडार हउ । इ ही चकर में बौरा गइली और एक हाथ से रंग क शीशी छलक गइल।

झालर -धत गांडू , डोमड़े ,कुजड़े ,हत्यारे ,वर्णशंकर वैशाखनंदन इधर आ । ले जो इ कुल तामझाम लागलपेट अत्यन्त से तुरंत और पुलका ले अपने जिनगी के।
बब्बन सबकुछ समेट चम्पत हो जाता है
झालर - देखा बुजरी वाला भांग भबूत भी ना छोड़लस ।

दृश्य 7
राजा का महल- महामंत्री  का प्रवेश
सरकार का भोकाल टाइट रहे सरकार यूनिवर्सल सोल्जर  और मैट्रिक्स क सेना बनाये बदे आपन योजना सफल हो गइल ।
राजा- बकचोदी ना करा मशका मत छिड़का सीधे सीधे मामला बतावा घासड़ी के
चण्डाल बब्बन चित्रकार के घरे से पेल के मजे क रंग,भभूत, भाग, और बुरुंश का पिटारा ले के आयल हउ ।
राजा- अदभुत । आज बब्बन गुरु को पुरे दिन भांग ठंडई और अफीम पान से बमबम बूत कर दिया जाए ।
महामंत्री - दास के साथ प्रयोगशाला में मूव करे सरकार
छत्तीस चित्रकार कुल यूनिवर्सल सेना बनाए में लगल हउन ।
राजा - हमारा एयरफ़ोर्स रथ तत्काल तैयार किया जाये महामंत्री

दृश्य 8
राजा -  झटांस, झटांस ( अत्यंत क्रोध में)
झोली में झटासं नहीं बारी में डेरा
साइड से झांकता सूत्रधार - नोट झटांस किसी भी वस्तु को नापने की सबसे न्यूनतम इकाई को बोलते है)
राजा - महामंत्री यूनिवर्सल सोल्जर तो क्या एक पैदल सिपाही भी पैदा नहीं कर पाये इ तोहरे पावभारी चित्रकार और ऊपर से पान की पिच पिच से पूरी प्रयोगशाला पिचपिचा दिए है ससुरे

महामंत्री -  क्षमा करे महराज लगता है की जी एफ एक्स के गुण रंगो में नहीं उस चित्रकार के हाथो में है।
राजा - बुजरी के अब दांत ना निपरो  ,गुर्गो को बोलो, जाएं और धर के लॉए ससुरे को।

सारथी झटक के ले चलो हमे ठुमरी बाई की हवेली पे
पूरा मन "अंधेर नगरी चौपट राजा" हो गया।

दृश्य 9
(राजा का सभागार , हथकड़ियों में जकड़ा झालर)

राजा-झालर गुरु तुम हमारे लिए यूनिवर्सल सैनिको की एक पूरी सेना बनावो । जिसमे कप्तान अमेरिका हो , बाहुबली हो , ब्लैकविडो और लोहा सिंह यानि आयन मैन हो और हा बब्बन को बैटमैन और भुतालि को स्पाइडर मैन बना दो।
झालर - केवल इतना ही

राजा - अच्छा सुनो  तुम इतना कह रहे हो तो कटप्पा जैसा सेनापति भी बनावो साथ में कुछ ड्रोन, बम वर्षक राफेल विमान और मिग 21 22 23 का अपडेट वर्जन भी बनावो एवम कुछ राडार का भी सृंगार कर दो।

झालर गुरु - महराज गुंडई मत बतिआवा
हम कलाकार हई बुझला की ना इ हमार विद्या हउ तू ऐसे पार ना पइबा
लेकिन इतना ही तोहे सनक चढ़ल हउ तो हम बना देब।
खंडन कह खंडन करी मंडन कह मंडन करी

और झालर के सामने वहीँ रंग बुरुश का पिटारा खोल दिया जाता है जिसे बब्बन ऊठा लाया था झालर बब्बन को देख के जोर से हस देता है।
अबे तेहि रहले ना ओ दिन हैं और हँसते हँसते ही
चित्र बना देता है।

दृश्य 10
राजा- महामंत्री ,युद्ध का शंखनाद कर दो , आज होरी के शुभ अवसर पे, हम खून का होरी खेलब इलाहाबाद के इराक कर देब जौनपुर के सीरिया कर देब ,शपथ हैं चचा सैम क।
महामंत्री - सैनिकों युद्ध  का प्रदर्शन करू
शंखनाद की जगह बिस्मिलाह खान की सहनाई बजने लगती है , राफेल विमान बम वर्षक की बजाय भांग वर्षक बन जाते है । राडार फूलों की खुश्बू का पता लगा कर महक को खिलने से पहले ही फ़िज़ा में बिखेर देता है । बाहुबली ,कट्टप्पा ,आयन मैन, ब्लैकविडो, जैसे सैनिक भांग के मजे, मस्ती में हर हर महादेव और बम बम महादेव का उदघोष करने लगते है । इसबीच स्पाइडर मैन उछल कर राजा को अपने साथ ले आता है और राजा भी उनके सुर से सुर और ताल से ताल मिला के नाचने गाने लगता है।
और इस बीच झालर गुरु कहता है।
काशी नरेश
हम तो कलाकार है
दर्द के रंगों से प्यार बनाते है
टूटते तारों से खुशियों की हसरते बनाते है
अश्रुओं से फरियाद के मोती बनाते है
ख्याब सजाते है जज़्बात बनाते है।
हम तो कलाकार है दर्द के रंगों से प्यार बनाते है

सेना शांति के लिए होती है काशी नरेश बनारस की जनता आपको अल्हड़ समझती है अहंकारी नहीं । आपकी सेना युद्ध के लिए नहीं शांति और सुख के लिए होनी चाहिए । इतने में बब्बन और भुतालि झालर को आलकी पालकी बोलते हुवे कंधे पे ऊठा लेते है।
और काशी नरेश हर हर महादेव का उदघोष करते हुवे झालर गुरु को अपने ह्रदय से लगा लेते है।

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