Monday, September 10, 2018

प्रियम का सारांश

प्रियम का सारांश

Story name  - प्रियम का सारांश
जिसने भी इस कथा को सुनने से पहले सिर्फ फिल्मी कचहरी देखी है उनके लिए विशेष सूचना।
जिला कोर्ट में मजिस्ट्रेट के केबिन में ही बहुत से मुकदमे लड़े और सुलह कर लिए जाते  है। चलिए अब आगे की कथा विस्तार से......
मजिस्ट्रेट, केबिन में, बैठी प्रियम वाजपेयी (30) अखबार से खुद पे ही पंखा हॉक रही है । बाजू में काले कोट और सफेद साड़ी में बैठी "देगी शुक्ला" (40) स्वेटर का हाफ बाजू बुन रही है ।  "देगी" प्रियम को बताती है कि पुराने मजिस्ट्रेट की बदली हो गयी है,
अब डिवोर्स का केस नये मजिस्ट्रेट "मथुरा प्रसाद" (48) के अंडर में है जो उनके मोहबोले जीजा है। मथुरा प्रसाद की तरफ नजर गाड़े हुवे देगी कहती है....
इनकी बीवी हमारे साथ लॉ पढ़ती थी ।
हमलोग इलाहाबाद कोर्ट में "मथुरा प्रसाद" को अस्सिट करते थे । आगे देगी बताती है कि हम ही थे जो मथुरा प्रसाद जी के प्रेमपत्र की पिटीशन फ़ाइल कराए तब जाकर इनकी वाइफ इनके प्रेम के लिए मयस्सर हुई ।
पसीने से नहाए मजिस्ट्रेट "मथुरा प्रसाद" अपने टेबुल फैन को हिला डुला रहे है। टेबुल फैन चल नहीं  रहा है।
मथुरा प्रसाद के सिर का पसीना टपटपाए पड़ा है। पसीने की बूंदे होरिजेंटल या क्षितिज के सामान रेखा बनाती हुई, उनके पहाड़ जैसे माथे से मुड़ते हुवे उनके गर्दन तक पहुच रही है ।
गर्मी से भनभनाते मथुरा प्रसाद टेबुल फैन को ताकते अपनी चेयर पे बैठते है। उनकी शर्ट पूरी तरह भीग के उनके शरीर से चिपट गयी है। अचानक मोटी तोंद के पास का बटन टूट जाता है,वह लज्जा वश अपनी चेयर से खड़े हो जाते है।
टेबल पे रखे थरमस से अपने गले को जलमग्न करते है।
"मथुरा प्रसाद" मुस्कुराते हुवे कहते है कि
"देगी"काहे गड़े मुर्दे उखाड़ रही है बे",
और अब ये गर्मी में स्वेटर काहे बुन रही है।
देगी शुक्ला ऊन का गोला अपनी गोद में टिकाते हुवे स्वेटर पे 11 नंबर की सलाई का फंदा चढ़ाते हुवे अभी कुछ बोलने जा ही रही थी कि ......
मथुरा प्रसाद जी गर्मी की वजह से केबिन का दरवाजा खोल देते है और दरवाजे की चरचराहट के साथ  नाटे कद के वकील बल्ली शुक्ला (46) धड़ाम से गिरते है ।
और उनके पीछे आ रहे सारांश वाजपेयी (30)  बल्ली शुक्ला को  सहारा देते हुवे उन्हें खड़ा करते है।
अपनी काली कोट और सफेद शर्ट को झाड़ते हुवे बल्ली पांडेय उठते हुवे कहते जज साहब अगली दफा ऐसा वेलकम हुआ तो कसम से घुटने की कटोरी बाहर आ जायेगी।
देगी शुक्ला दांत चियार के हस देती है और बल्ली पांडेय की तरफ इशारा करते हुवे मथुरा प्रसाद को बताती है कि
"वोल्टास का नया एयर कंडीशन लिया है 20 नंबर  पे घनघोर जाड़ा मारता है इनको। रात भर बक्से से कंबल निकालने के लिए बोलते है अब कौन जाए कंबल निकालने इसलिए सोचा हाफ स्वेटर ही बुन दु "। 
पसीने से तर बतर बल्ली पांडेय देगी की बात को हँसी में टालते हुवे कहते है  "देगी" अब ज्यादा गुंडई नहीं 
वहाँ रखी एक और कुर्सी पे अपना चबूतरा टिकाते हुवे बल्ली सारांश वाजपेयी को भी साथ वाली कुर्सी पे बैठने को बोलते है । सारांश वाजपेयी प्रियम वाजपेयी से अखबार का एक हिस्सा छीनते हुवे अपने ऊपर  पंखा हाँकते हुवे कुर्सी पे बैठ जाता है ।
एक तो गर्मी दूसरे जॉर्जेट की साड़ी में जल रही प्रियम वाजपेयी सारांश की हरकत पे उसे घूरती नजरों से डराती है ।
बल्ली, मथुरा प्रसाद को देखते हुवे बोलते है
"मालिक केबिन में पंखा नही चल रहा है" ।
और एक पान मुह में दबाते है और दूजा मथुरा प्रसाद की तरफ बढ़ाते है ।
पान का बीड़ा मुह में दबाते मथुरा प्रसाद बोलते है
गुरु सरकारी पंखा है ,नाराज हो गया है।
बल्ली देगी से उसके पर्स में रखी कंघी मागंते है, "देगी" कंघी देती है। बल्ली टेबुल फैन के नंगे तार को दांतो से काटते है उसमे से नया तार निकालते है फिर स्विच में लगाते है और स्विच ऑन करते है।
फिर कंघी से पंखे के डायल को हिलाते है पंखा चलने लगता है। मथुरा प्रसाद के चिकने चमन के बचें खुचे कुछ चुनिदा बाल लहरा उठते है ।
मथुरा प्रसाद उसी कंघी से अपने बाल सेट करते हुवे बोलते है
  गुरु का जादू किये बे ।
बल्ली भी अपना तेवर और कॉलर टाइट करते हुवे
"अरे तार पे कार्बन और डायल में धूल जम गया था मालिक" ।
देगी शुक्ला प्रसन्न मुद्रा में अपने हाथों से बल्ली की बलइया निछावर करती  है।
ये तमाशा देख रहे प्रियम और सारांश अब पक चुके है।
प्रियम कहती है
अब तो पंखा भी चल गया  तलाक मुक़र्रर कर दीजिए जज साहब।
उसकी बात का समर्थन करते हुवे सारांश कहता है
अरे अब तो चुने वाला पान भी लपेट दिए गुरु
अब काहे में देरी।
मथुरा प्रसाद कहते है
"ऐसा है बंधू आप लोगो को 6 महीने के बाद,
अब तलाक की डेट मिली है
हम ठहरे नए मजिस्ट्रेट
थोड़ा मामला, देगी और बल्ली से समझने दीजिए
तबतक आपलोग आपस मे आखरी दफा सलाह कर लीजिए,
जन्म जन्मांतर का सबंध होता है विवाह ,टूटने में थोड़ा समय तो लेगा ही ।
जाइये कोई प्यार की गुंजाइश बचीं हो तो उसे खोजिए वर्ना  हम तो तलाक की मोहर ठोकने के लिए बैठे है।
देगी ऊन का गोला लपेटते हुवे दुलार की मुद्रा में कहती है....
अरे हा भाई जावो केबिन के बाहर vip शौचालय के पास गुप्ता मैंगो शेक वाला भी है ।
गले में तरावट जमावो और आखरी बार समझ बुझ लो।
बल्ली भी उन्हें लौटते वख्त तीन गिलास गन्ने का जूस लाने को बोलता है।
अजनबियों  की तरह गभीर मुद्रा में, सारांश और प्रियम केबिन से बाहर निकलते है।
vip शौचालय के पास गुप्ता मैंगो शेक वाले के पास पहुचते है ।
प्रियम खुद के लिए बनाना शेक और सारांश के लिए मैंगो शेक बोलती है । और मैंगो शेक वाले को हिदायत देती है कि शेक में नकली काजू बादाम और चेरी मत पेल देना क्योंकि सारांश को पीने के बाद टट्टी लग जाती है ।
सारांश, गुप्ता मैंगो वाले को घूरते हुवे बोलता है "
अच्छा सुनो बे,केला शेक में असली वाला कोकोनट का बुरादा डाल के दूध के साथ हिला देना,
और मिक्सी तीन राउंड चलाना भोसड़ी के।
प्रियम- कसम से तुम आज भी गवार ही रहोगे
कितनी बार बोले थे कि लेडिस के सामने जेंट्स को नहीं गरियाते है ।
गुप्ता मैंगो शेक वाला- अरे भाभी काहे पिनक रही है
ई बनारस है, भइया भोसड़ी के नही गरियागे तो, क्या आरती उतारेंगे हमारी। 
यहाँ "भोसड़ी" के बोलना आशीर्वाद है जिसको भी मिलता है समझ लीजिए उसका दिन बन जाता है ।
प्रियम सारांश को  घूरते हुवे
ऐसा है मुझे तलाक तुमसे ही नहीं इस पूरे शहर से चाहिए पकड़ो, मेरा बैग जरा हम बाथरूम होकर आते है।
वो बाथरूम की तरफ जाती है
थोड़ी देर बाद, मैंगो शेक पी रहे सारांश को न जाने क्या सूझता है , वह गुप्ता को खुले पैसे देता है। शेक को पेप्सी के आइस वाले डब्बे में रखने को बोलता है और खुद भी शौचालय की तरफ चला जाता है।
लेडिस बाथरूम के बाहर वो खड़ा ही रहता है कि प्रियम उसे अंदर खिंच लेती है और  कुंडी लगा देती है। मानो दोनों में कामदेव और रति समा गए हो ।
दोनों एक दूसरे को चमत्कारी चुंबन करने लगते है
प्रियम सारांश को किस करते हुवे बोलती है कि  तूफान बन गए हो क्या आराम से किस करू
सारांश बोलता है कि पिछले 6 महीने से अकेले रहते रहते अंडकोष में सूजन आ गयी है ।
बंगाली डॉक्टर बोले है घड़ा भर गया है जल्दी से जल्दी कही छलका दो वर्ना फुट जाएगा।
प्रियम  - तलाक वाला आइडिया किसका था
              अब बोलो आ गयी न समस्या ।
सारांश -अरे, तो तुमने ही तो बोला कि,5 साल की शादी के बाद हम दोनों ही उजड़ गए है जवानी में बिजली नही है और प्यार खो गया है।
प्रियम-  हा, तो गलत क्या कहा, आज जितनी बेचैनी और पागलपन कहा था पहले । पीहर में बैठ के तुम्हारी याद में घंटो लव लेटर लिखा करती हूँ।
मीठी कहानियां रस भरी  कहानियां और सच्ची प्रेम कहानियां पढ़ने को मन फिर से बेचैन रहता है।
सारांश - मेरी जिंदगी की परत दर परत में प्यार छुपा बैठा है एक बार उखाड़ के देखो प्रियम , नए लौंडो की तरह आज हम भी तुम्हे पाने के लिए तरसते है ।
प्रियम - सच में सारांश,आज फिर से मेरे होठों पे तुम्हारी हर धड़कन महसूस हो रही है।
सारांश - मेरी रेशम, देखो, तुमसे दूर होकर मैं चिथड़ा हो गया हूं ।जी तुम्हे प्यार करने को तरस तरसकर के रह जाता है
प्रियम - औऱ तुम्हारे प्यार में मेरा दिल नाभि तक आ गया है।
सारांश - इस दूरी ने हमारे प्यार को फिर से जिंदा कर दिया है । फिर से तुम्हे shadi.com पे खोजता रहता हूं।
प्रियम- टेंशन मत लो आज प्रोफाइल बना ली है ।
सर्च करोगे तो प्रियम वाजपेयी फिर मिलेंगी तुम्हे।
सारांश -  हा, अब बस तलाक हो जाये फिर 6 महीने तक एक दूसरे से नए इंसानों की तरह मिलेंगे ।
प्रियम - रात रात भर पागलों की तरह फोनिया जाएगा
सारांश -मैं तो एक बार फिर से तुम्हारे भइया से पिट के रहूंगा ।
प्रियम- सच में
सारांश- लेकिन जान कुत्ते की तरह मुझे कूट देता है कमीना
प्रियम- ह्म्म्म , मैं फिर घर से भाग जावोंगी ।
सारांश - हा, फिर से करेंगे शादी और फिर लौटेगा प्यार।
प्रियम- अब जल्दी से उठावो मुझे औऱ देखो मेरी साड़ी भी खुल गई।
सारांश - ह्म्म्म लो ,तुम्हें उठा के सीधा खड़ा कर दिया।
प्रियम- अब अपनी आँखें बड़ी करू मुझे अपना चेहरा ठीक करना है ।
सारांश- तुम्हे मेरी आँखों मे दिख जाता है कि तुम कैसी लग रही हो।
प्रियम- ( प्रियम अपनी साड़ी औऱ बाल ठीक करते हुवे) तुम्हारी आँखों में तो ठीक से नहीं दिखता लेकिन .....
सारांश - लेकिन क्या
प्रियम- जब तुम एक टक बिना पलके झपकाए देखते हो न, तो समझ आ जाता है कि मैं अच्छी लग रही हूँ।
अचानक बाथरूम का दरवाजा खटखटाया जा रहा है दोनों इस बीच जल्दी जल्दी खुद को ठीक करते है ।  दरवाजा पे देगी शुक्ला है और बल्ली है।
Scene 3
गुप्ता की दुकान पे प्रियम और सारांश  बैठे है । मथुरा प्रसाद, बल्ली और देगी उन्हें देख रहे है ।
जबरदस्त आलिंगन भरा प्यार और मार पीट करने वाले इंसान अक्सर एक जैसे ही दिखते हैं।
प्रियम और सारांश भी कुछ ऐसे लग रहे है जैसे प्यार नहीं दोनों ने जमके के एक दूसरे के साथ मार पिटाई की है।
स्वेटर बुनती देगी कहती है,
जज साहब इनको एक साथ तो खुला छोड़ना भी खतरनाक है। मर कट जाएंगे दोनों ,देखिए इनके चहरे और हाथों के निसान, ऐसा लग रहा है दोनों ने नोच लिया है एक दूसरे को,
बल्ली मैंगो शेक पीते हुवे मथुरा प्रसाद को बोलता है
इनके तलाक पे मोहर मार ही दिजीये मालिक ।
मथुरा प्रसाद - लावो कागज बल्ली।
और प्रियम और सारांश को देखते हुवे....
तलाक के साथ तुम दोनों को 6 - 6 महीने अलग अलग शहर में रहना होगा । ताकि ऐसा जान लेवा हमला एक दूसरे पे,तुम दोनों दोबारा न करूं।
शादी लोगो को पागल कर दे रही है बल्ली,
बाथरूम एक ऐसी जगह जहा कुछ मिनट शुकुन के होते है और वहाँ भी लोग कानून हाथ मे ले ले रहे है । 5000 के निजी मुजलके पे तुम दोनों का तलाक मुक़र्रर करता हूँ।

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